पत्नी द्वारा गले से मंगलसूत्र को हटाया जाना, पति के लिए कड़वाहट दर्शाता है: हाई कोर्ट
punjabkesari.in Friday, Jul 15, 2022 - 11:49 AM (IST)

चेन्नई: अलग रह रही पत्नी द्वारा मंगलसूत्र को हटाया जाना पति के लिए क्रूर मानसिक को दर्शाता है ऐसा मद्रास हाई कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान कहा। दरअसल, एक केस की सुनवाई के दौरान मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि अलग रह रही पत्नी द्वारा मंगलसूत्र को हटाया जाना पति के लिए मानसिक क्रूरता समझा जायेगा। यह टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने पति की तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी।
एक तलाक की अर्जी पर न्यायमूर्ति वी. एम. वेलुमणि और न्यायमूर्ति एस. सौंथर की एक खंडपीठ ने इरोड के एक मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत सी. शिवकुमार की अपील को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की।
उन्होंने स्थानीय परिवार न्यायालय के 15 जून, 2016 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था, जिसमें तलाक देने से इनकार कर दिया गया था। जब महिला से पूछताछ की गई, तो उन्होंने स्वीकार किया कि अलगाव के समय, उसने अपनी थाली यानि की मंगलसूत्र की चेन को हटा दिया था।
महिला ने स्पष्ट करचे हुए बताया कि उसने सिर्फ चेन हटाई थी और थाली रखी थी। महिला के वकील ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा सात का हवाला देते हुए कहा कि थाली पहनना आवश्यक नहीं है और इसलिए पत्नी द्वारा इसे हटाने से वैवाहिक संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि यह सामान्य समझ की बात है कि दुनिया के इस हिस्से में होने वाले विवाह समारोहों में मंगलसूत्र बांधना एक आवश्यक अनुष्ठान है।
अदालत ने हाई कोर्ट की एक खंडपीठ के आदेशों का भी हवाला देते हुए कहा था कि 'रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री से, यह भी देखा जाता है कि याचिकाकर्ता ने मंगलसूत्र को हटा दिया है और यह उसने भी माना है कि उसने उसे बैंक लॉकर में रखा था। यह एक ज्ञात तथ्य है कि कोई भी हिंदू विवाहित महिला अपने पति के जीवनकाल में किसी भी समय खुद से थाली नहीं हटाएगी।
बेंच ने कहा कि एक महिला के गले में थाली एक पवित्र चीज है जो विवाहित जीवन की निरंतरता का प्रतीक है और इसे पति की मृत्यु के बाद ही हटाया जाता है। इसलिए, याचिकाकर्ता/पत्नी द्वारा इसे हटाने को एक ऐसा कार्य कहा जा सकता है जो मानसिक क्रूरता दर्शाता है क्योंकि इससे प्रतिवादी की पीड़ा और भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।