Krishna Janmashtami: कृष्ण जन्माष्टमी में खीरे का क्या है महत्व और क्यों काटा जाता है? जानें इसके पीछे का कारण

punjabkesari.in Saturday, Aug 16, 2025 - 08:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देशभर में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम देखने को मिल रही है। इस पावन अवसर पर भक्तगण उपवास रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की सेवा-पूजा करते हैं। जन्माष्टमी के दिन कई धार्मिक परंपराएं निभाई जाती हैं, लेकिन एक खास परंपरा जो हर साल देखने को मिलती है, वह है खीरे से कान्हा का जन्म कराना। यह परंपरा न केवल अनोखी है बल्कि इसके पीछे एक गहरा धार्मिक संदेश भी छिपा हुआ है।

जन्म की प्रक्रिया का प्रतीक है यह परंपरा
खीरे से श्रीकृष्ण के जन्म को दर्शाना एक प्राचीन और आस्था से जुड़ी परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिस प्रकार शिशु जन्म के समय अपनी माँ की नाल से जुड़ा होता है, उसी तरह खीरा जब तक अपनी डंठल से जुड़ा रहता है, उसे गर्भ के समान माना जाता है। जैसे ही डंठल को काटा जाता है, वह माँ के गर्भ से बच्चे के अलग होने की प्रक्रिया का प्रतीक बन जाता है। यह रस्म इस दिव्य जन्म की अनुभूति कराने का एक आध्यात्मिक माध्यम मानी जाती है।

भगवान को प्रसन्न करने का सरल उपाय
खीरे से जन्म कराने की यह प्रक्रिया यह भी संदेश देती है कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए महंगे चढ़ावे या आडंबर की आवश्यकता नहीं होती। सच्ची भक्ति, श्रद्धा और सरलता ही श्रीकृष्ण को प्रिय हैं। यह परंपरा भक्तों को यह सिखाती है कि धर्म और भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए दिल की सच्चाई सबसे बड़ी चीज़ है।

कैसे की जाती है यह प्रक्रिया?
सबसे पहले खीरे को बीच से हल्का काटा जाता है और उसमें लड्डू गोपाल को स्थापित किया जाता है।

फिर उन्हें पीले वस्त्र से ढक दिया जाता है और रात 12 बजे — श्रीकृष्ण के जन्म का समय — खीरे का डंठल काटा जाता है।

इसके बाद पीला वस्त्र हटाकर भगवान को बाहर निकाला जाता है।

फिर उन्हें चरणामृत से स्नान कराया जाता है और झूले पर विराजमान किया जाता है।

यह पूरा दृश्य भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की आध्यात्मिक अनुभूति कराता है, जिससे घर-परिवार में आनंद और भक्ति का वातावरण बनता है।

सुख-समृद्धि का प्रतीक है खीरा
कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खीरा समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। जन्माष्टमी की रात खीरे से श्रीकृष्ण का जन्म कराने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, खुशहाली और आर्थिक उन्नति का संचार होता है। यह प्रक्रिया न केवल एक धार्मिक रस्म है, बल्कि यह जीवन में शुद्धता, प्रेम और भक्ति का संदेश भी देती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Shubham Anand

Related News