Nuclear Bomb Power: परमाणु बम की शक्ति जानें: कितने किलो का है और कितनी देर में हो जाती है दुनिया खत्म?

punjabkesari.in Friday, May 09, 2025 - 07:38 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  भारत और पाकिस्तान के बीच गहराते तनाव ने एक बार फिर यह आशंका खड़ी कर दी है कि अगर हालात काबू से बाहर हुए, तो जंग परमाणु हथियारों तक पहुंच सकती है। ऐसे में आम नागरिकों के मन में एक बड़ा सवाल है—अगर परमाणु युद्ध होता है, तो उसका असर कितना विनाशकारी हो सकता है? और भारत इसके लिए कितना तैयार है?

परमाणु बम सामान्य बमों की तुलना में कई गुना ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं। ये बम न केवल तत्काल बड़ी संख्या में जनहानि कर सकते हैं, बल्कि उनके रेडिएशन का प्रभाव सालों तक वातावरण और मानव जीवन पर बना रहता है। इतिहास में हिरोशिमा और नागासाकी इसके भयावह उदाहरण हैं।

भारत, एक ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति राष्ट्र होने के नाते, ‘नो फर्स्ट यूज़’ की नीति पर कायम है। यानी भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन अगर उस पर ऐसा हमला होता है, तो वह पूरी ताकत से जवाब देने में सक्षम है।

बता दें कि भारत का मिसाइल डिफेंस सिस्टम अपनी उन्नत तकनीक और शक्तिशाली रक्षा प्रणालियों के साथ हर प्रकार के खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से आने वाले संभावित मिसाइल हमलों को नाकाम करने के लिए भारत ने अत्याधुनिक प्रणालियाँ विकसित की हैं, जो न केवल बैलिस्टिक मिसाइलों का मुकाबला करती हैं, बल्कि हवा से आने वाले हर तरह के हमले को भी रोकने की क्षमता रखती हैं। भारत का यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम उसे सुरक्षा के लिहाज से एक नई ऊंचाई पर ले जाता है।

भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम: परमाणु हमलों से बचाव की गारंटी

भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (BMD) उन अत्याधुनिक प्रणालियों में से एक है जो परमाणु हमलों के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा कवच का काम करती हैं। यह न केवल दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में नष्ट करने में सक्षम है, बल्कि जवाबी हमलों की ताकत भी रखता है। पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (PDV) जैसी प्रणाली, जो 40,000 फीट तक टारगेट ट्रैक कर सकती है, इसका उदाहरण है। यह सिस्टम दुश्मन के 400 किमी तक के विमानों और मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।

भारत का मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम: एक लंबा सफर

भारत ने 1996 में अपने मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम की शुरुआत की थी, और तब से इसने कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर तय किए हैं। भारत ने इज़राइल के साथ मिलकर लांग रेंज ट्रैकिंग रडार (स्वॉर्डफिश) विकसित किया, जो 300 किमी दूर से आ रही मिसाइलों को ट्रैक कर सकता है। 2017 में पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (PDV) का सफल परीक्षण किया गया, जो अमेरिका के THAAD सिस्टम से मेल खाता है और इसे उच्चतम स्तर पर प्रभावी माना जाता है।

9K33 OSA AK - एक और शक्तिशाली रक्षा प्रणाली

भारत के पास एक पोर्टेबल मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी है जिसे 9K33 OSA AK कहा जाता है। यह सिस्टम भूमि से हवा में हमले करने वाली मिसाइलों से लैस है और 15-18 किमी तक के क्षेत्र में प्रभावी है। इस सिस्टम की मिसाइलें 3704 किमी/घंटा की गति से दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को नष्ट कर सकती हैं, जिससे यह भारत के लिए एक और मजबूत सुरक्षा कवच बन जाता है।

बराक 8: भारत की ताकत में और इजाफा

भारत के पास एक अत्याधुनिक मीडियम रेंज एंटी एयर डिफेंस सिस्टम, बराक 8 भी है, जिसे भारत के DRDO और इज़राइल के सहयोग से विकसित किया गया है। यह सिस्टम न केवल सबसोनिक, बल्कि सुपरसोनिक मिसाइलों को भी इंटरसेप्ट करने में सक्षम है। यह फाइटर जेट्स, गश्ती विमानों, हेलीकॉप्टरों, और समुद्र से दागी गई मिसाइलों को नष्ट कर सकता है, जिससे भारत का मिसाइल डिफेंस और भी मजबूत हो जाता है।

निरंतर सुधार और बढ़ती ताकत

भारत ने अपने मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम में लगातार सुधार किया है, और अब यह दुनिया के सबसे मजबूत और प्रभावी रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। इन प्रणालियों के जरिए भारत अपनी सीमाओं की रक्षा करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी संभावित हमले से देश की सुरक्षा को कोई भी नुकसान न हो।

 


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Content Writer

Anu Malhotra

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