कनाडा में भारत के खिलाफ फिर मोर्चा खोलने की तैयारी में खालिस्तानी, आंखें मूंदी बैठी है ट्रूडो सरकार
punjabkesari.in Sunday, Jun 18, 2023 - 02:45 PM (IST)

जालंधर: कनाडा में एक बार फिर से एक संवेदनशील मुद्दे को लेकर खालिस्तानी समर्थक भारत विरोधी कार रैली का आयोजन करने जा रहे हैं, जबकि इस सारे मामले में कनाडाई ट्रूडो सरकार ने फिर आंखें मूंद ली हैं। दरअसल कनाडा में बैठे खालिस्तानी अब एयर इंडिया के बोइंग विमान कनिष्क में हुए विस्फोट के मास्टरमाइंड तलविंदर परमार के नाम पर एक कार रैली का अयोजन करने जा रहे हैं। इस हादसे की 23 जून को 38 वीं बरसी है। हैरत की बात तो यह है कि रैली के प्रचार के लिए जारी किए गए पोस्टर में कनिष्क हवाई जहाज में हुए विस्फोट में कनाडा सरकार से भारत की भूमिका जांच की मांग की गई है। कार रैली के पोस्टर कनाडा में विभिन्न हिस्सों में लगाए गए हैं। कनिष्क हवाई जहाज में हुए विस्फोट में 329 लोग मारे गए थे।
वोट बैंक की सियासत में खामोश सरकार
पोस्टर में कहा गया है कि "शहीद भाई तलविंदर परमार कार रैली" का आयोजन रविवार 25 जून दोपहर 12.30 बजे मालटन के ग्रेट पंजाब बिजनेस सेंटर पर किया जाएगा, जबकि कार रैली एयर इंडिया फ्लाइट 182 मेमोरियल हंबर बे पार्क वेस्ट टोरंटो में समाप्त होगी। पोस्टर के नीचे लिखा है कि "कनाडा इन्वेस्टिगेट इंडियाज रोल इन 1985 कनिष्क बोमिंग" यानी पोस्टर में भारत पर विमान कनिष्क में हुए विस्फोट को लेकर खालिस्तानी सीधे तौर पर उंगलियां उठा रहे हैं। हालांकि यह विश्व ज्ञात है कि कनिष्क में हुए विस्फोट की जांच भारत और कनाडा दोनों ने मिलकर की थी। जांच में कनाडा ने ही तलविंदर परमार को विस्फोट का मास्टरमाइंड बताया था। जानकारों का कहना है कि इसके बावजूद कनाडा में भारत के खिलाफ इस तरह का आयोजन दर्शाता है कि कनाडा की ट्रूडो सरकार वोट बैंक की सियासत के लिए किसी भी स्तर पर गिर सकती है।
हत्या के आरोपी को सम्मानित करना पागलपन
लंदन, अमरीका और कनाडा में भारतीय उच्चायोग पर हुए हमले के बाद की अब यह एक और ऐसी घटना है जो भारत विरोधी है। विवादित पोस्टर को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और "ब्लड फॉर ब्लड - फिफ्टी इयर्स ऑफ द ग्लोबल खालिस्तान प्रोजेक्ट" के लेखक टेरी मिलेवस्की ने ट्विटर पर लिखा है कि कनाडाई खालिस्तानियों ने फिर से अपने पोस्टर बॉय के रूप में एयर इंडिया पर बमबारी करने वाले मनोरोगी तलविंदर परमार को चुना है। टेरी मिलेवस्की ने आगे लिखा है कि निर्दोष 329 मासूमों की हत्या करने वाले को इस तरह सम्मानित किया जाना एक तरह का पागलपन है। इस तरह के प्रयास नहीं होने चाहिए। उन्होंने आगे लिखा है कि जारी किए गए पोस्टर में भारत की भूमिका की जांच की बात कही गई है लेकिन दशकों की जांच ने साबित कर दिया कि भारत की ऐसी कोई भूमिका नहीं थी। टेरी मिलेवस्की ने लिखा कि जांच में खुलासा हो चुका है कि परमार ने ही भीषण ब्लास्ट की साजिश का नेतृत्व किया था। उन्होंने लिखा है कि रैली झूठ फैलाने के लिए है।
कहां और कब हुआ था हादसा
गौरतलब है कि 23 जून 1985 को एयर इंडिया का बोइंग विमान कनिष्क हवाई जहाज में आसमान में विस्फोट हो गया था। दुर्घटना के समय विमान में 307 यात्री और 22 क्रू मेंबर्स सवार थे। टोरंटो से लोगों को लेकर विमान जबक यूरोप की सीमा में दाखिल होने के बाद आयरलैंड की ओर पहुंचा था तो उसमें धमाका हुआ था और जलता हुआ विमान अटलांटिक सागर में गिर गया था इसमें 22 क्रू मेंबर्स सहित सवार सभी 329 यात्री मारे गए थे। हादसे में मारे गए कुल 329 लोगों में से 268 कनाडा, 27 इंग्लैंड, 10 अमरीका और 2 भारत के नागरिक थे, साथ ही जहाज की क्रू में शामिल सभी 22 भारतीय भी मारे गए थे। दुर्घटना के बाद 131 यात्रियों के शव महासागर से बरामद किए जा सके थे। इस हादसे को "कनिष्क विमान हादसा" के नाम से भी जाना जाता है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला
इस हमले को 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे अलग खालिस्तान की मांग कर रहे सिख आतंकियों को मारने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' के तहत की गई कार्रवाई का बदला माना गया था। 6 जून 1984 को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार किया गया था। भारतीय सेना का यह मिशन स्वर्ण मंदिर को जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों के चंगुल से छुड़ाना था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ऑपरेशन ब्लूस्टार में 83 सैन्य कर्मी और 492 नागरिक मारे गए थे।
जांच में बब्बर खालसा पाया गया था दोषी
कनाडा और भारत की ओर से जांच में इस हादसे के लिए सिख आतंकी संगठन बब्बर खालसा को जिम्मेदार ठहराया गया था। बब्बर खालसा के अलावा हमले की इस साजिश में कनाडा का भी एक ग्रुप शामिल था। कनाडा की जांच समिति की ओर से यह आशंका जताई गई थी कि इसके पीछे इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन भी शामिल था। किसी उड़ते हवाई जहाज को बम से उड़ाने की यह पहली घटना थी। जांच के दौरान कनाडाई पुलिस ने आरोप लगाया कि तलविंदर सिंह परमार हमले के पीछे मास्टरमाइंड था। हालांकि उसके खिलाफ कुछ दिनों बाद आरोप हटा दिए गए थे। परमार को बाद में भारत में पुलिस ने मार गिराया था।
कनाडा में अब तक की सबसे महंगी जांच
जांच की प्रक्रिया पूरे 20 साल चली जिसमें कनाडा सरकार के 130 मिलियन कनाडाई डॉलर खर्च हुए थे, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आए। यह कनाडा में किसी केस की सबसे महंगी जांचों में से एक है। लंबी जद्दोजहद के बाद एक आरोपी गिरफ्त में आया था। धमाके के इकलौते दोषी इंद्रजीत सिंह रेयात को 10 साल की जेल हो गई, लेकिन वह 2016 में 28 जनवरी को कनाडा की जेल से रिहा हो गया था। इंद्रजीत सिंह रेयात पर आरोप लगा कि धमाके के लिए उसने डेटोनेटर, डायनामाइट और बैटरीज खरीदी थी। 17 जून, 2010 को कनाडा की ओर से जारी जांच रिपोर्ट में इसके लिए कनाडा पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी बताया गया था। कहा यह भी जाता है कि कनाडा खुफिया एजेंसियों को अलगाववादी सिख संगठनों की ओर से आतंकी वारदात को अंजाम देने की जानकारी थी।