निपाह वायरस से डरने की जरुरत नहीं, सतर्कता रखें

punjabkesari.in Thursday, May 24, 2018 - 11:46 AM (IST)

नई दिल्ली: केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के फैलने के बाद देशभर में लोगों में डर बैठ गया है। यह एक तरह का दीमागी बुखार है जिसके लिए चमगादड़ जिम्मेदार है। दिल्ली के कुछ प्रमुख अस्पतालों के चिकित्सकों ने सलाह दी है कि लोग इस वायरस को लेकर ज्यादा भयभीत न हों पर सतर्कता जरूर बरतें। फिलहाल यह वायरस केरल के कोझिकोड जिले तक ही सीमित है, ऐसे में देश के अन्य हिस्सों में लोगों को घबड़ाने की जरूरत नहीं है। वायरस को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय सघनता के साथ काम कर रहा है। केंद्रीय टीम केरल पहुंच गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक निपाह वायरस (एनआईवी) जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस का मुख्य स्रोत वह फल होते हैं, जिनको चमगादड़ खाते हैं। 
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आइसोलेशन वार्ड बनाए गए 
चिकित्सकों का कहना है कि निपाह वायरस चार से 18 दिन तक शरीर में रह सकता है। ऐसे में मरीज को एक महीने तक आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है। चिकित्सकों ने सलाह दी है कि सबसे बेहतर है कि जिस जगह यह वायरस पाया जाता है, उस जगह को ही आइसोलेट कर दिया जाए। दिल्ली के एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, एलएनजेपी, जीटीबी, डीडीयू, अपोलो, गंगाराम, फोर्टिस आदि अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड पूरी तरह से तैयार कर लिए गए हैं। चिकित्सा बचाव से संबंधित सलाह बार-बार जारी कर रहे हैं।
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चिकित्सकों की सलाह 
-जमीन पर गिरे फलों को खाने से बचें 
-सिर दर्द, बुखार, बेहोशी, उल्टी हो तो तुरंत जांच कराएं
-निपाह पीड़ित से मिलने के बाद  हाथ साबुन से जरूर धोएं
-वायरस से पीड़ित की मौत हो जाए तो उसे गले न लगाएं
-अंतिम संस्कार से पहले शव को नहलाने से भी बचें   
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कहां से आया निपाह वायरस
1998 में मलेशिया में सुअर पालन करने वालों में संक्रमण के बाद वर्ष 2001 में बांग्लादेश में इस वायरस का असर दिखाई दिया था। वहां के कुछ लोगों ने चमगादड़ों के संपर्क में आने वाले खजूर खा लिए थे, इसके बाद वह इस वायरस से पीड़ित हुए थे।  
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वैक्सीन नहीं है इस वायरस की
अब तक निपाह वायरस की कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है। इस वायरस का एकमात्र इलाज यही है कि संक्रमित व्यक्ति को डॉक्टरों की कड़ी निगरानी में रखा जाए। 
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आरएमएल में डॉक्टरों की टीम बनाई गई  
सतर्कता बरतते हुए राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) में विशेष वार्ड बनाए गए हैं। स्वाइन फ्लू की तर्ज पर ही ओल्ड बिल्डिंग या फिर अन्य किसी जगह पर विशेष कक्ष बनाए जाएंगे। इस विशेष वार्ड के लिए मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई है। इसके अलावा अन्य स्टाफ को भी अलर्ट पर रखा गया है। संक्रमण आदि से बचने के लिए प्रर्याप्त मात्रा में मॉस्क, स्लाइड, वेंटिलेटर आदि भी रखे गए हैं। आरएमएल ने इस वार्ड के लिए डॉक्टर नूतन मेहता को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। डॉ. मेहता का कहना है कि अभी भयभीत होने जैसी कोई बात नहीं है। विशेष वार्ड की तैयारियां पाइप  लाइन में है। जल्द ही इसे तैयार कर लिया जाएगा। 
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अफवाहों से बचें, प्र्रकोप है सीमित: स्वास्थ्य मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से राष्ट्रीय स्तर पर अपील की है कि निपाह वायरस का संक्रमण केवल कोझिकोड तक ही सीमित है, ऐसे में अफवाहों से बचना चाहिए। प्रकोप सीमित होने से केरल के अतिरिक्त अन्य राज्यों में खतरा फिलहाल नहीं के बराबर है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के अनुसार कोझिकोड के तमाम अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बना दिए गए हैं। इससे यह वायरल फैलेगा नहीं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम वायरस प्रभावित इलाके का दौरा कर रही है। 
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एम्स के स्तर पर गठित की गई है विशेष टीम
एम्स के चिकित्सकों की एक टीम का गठन किया गया है जो इस वायरस के पनपने और फैलने के कारणों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। एम्स के डॉक्टर आशुतोष विश्वास केरल गए हैं। एम्स ने सतर्कता बरतते हुए 18 या 20 दिनों में बुखार, सिर दर्द, सर्दी-खांसी से पीड़ित लोगों की जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है, देखा यह जा रहा है कि कहीं वह केरल के कोझिकोड या उसके आसपास के किसी क्षेत्र में तो नहीं गए थे। चिकित्सकों का कहना है कि अगर किसी में यह वायरस होगा तो 90 प्रतिशत केस में 4 दिन में पता चल जाएगा।  


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Anil dev

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