आज से शुरू हो रहा है कार्तिक मास, 30 दिन में बुरा वक्त कहेगा Bye-bye

punjabkesari.in Wednesday, Oct 09, 2019 - 06:53 AM (IST)

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ज्योतिष विद्वानों के अनुसार हर महीना सूर्य एवं चन्द्रमा की गणना के हिसाब से शुरु होता है। वैष्णव संप्रदाय का अनुसरण करने वाले एकादशी से किसी भी मास का आरंभ करते हैं और अगली एकादशी तक ही पूरा महीना मानते हैं। जो लोग संक्राति के हिसाब से चलते हैं वह सूर्य की गणना को फोलो करते हैं और जो चन्द्रमा के अनुसार चलते हैं वह पूर्णिमा की गणना के हिसाब से चलते हैं। आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी से श्री हरि विष्णु का प्रिय कार्तिक मास आरंभ हो रहा है। जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवप्रबोधिनी एकादशी तक चलेगा। पूर्णिमा से महीने का आरंभ मानने वालों का शरद पूर्णिमा से कार्तिक मास आरंभ होगा। यदि 30 दिन तक आप स्नान व धर्म-कर्म आदि से जुड़े कुछ नियमों का पालन कर लेते हैं तो बुरा वक्त हमेशा के लिए आपका साथ छोड़ देगा। 

PunjabKesari Kartik month 2019

सूर्योदय पर करें ये काम- वैसे तो तारों की छांव में किसी तीर्थ स्थान, नदी अथवा पोखरे पर जाकर स्नान करना चाहिए। संभव न हो तो भगवान का ध्यान करते हुए गंगा जल युक्त जल से स्नान करें, सफेद या पीले रंग के शुद्ध वस्त्र धारण करें। पहले भगवान विष्णु का धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प एवं मौसम के फलों के साथ विधिवत सच्चे मन से पूजन करें। फिर सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हुए 36 कोटी देवी-देवताओं, ऋषियों-मुनियों और दिव्य मनुष्यों को प्रणाम करते हुए पितरों का तर्पण करना चाहिए। पितृ तर्पण करते वक्त हाथ में तिल जरुर लें। कहते हैं जितने तिलों को हाथ में लेकर कोई अपने पितरों को याद करते हुए तर्पण करता है, उतने ही वर्षों तक पितरों को स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त होता है।

सूर्यास्त पर करें ये काम- कार्तिक मास में दीपदान और जागरण करने की महिमा का गुणगान करना असंभव है। वैसे तो श्री हरि के मंदिर में दीप दान करने वालों के घर में कभी भी कोई दुख नहीं आता लेकिन इस महीने में दीप दान करने वालों के घर में खुशहाली और बरकत बनी रहती है। देवी लक्ष्मी सदा इन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। श्री हरि विष्णु के अथवा उनके किसी भी अवतार के मंदिर में जाकर जागरण किया जा सकता है लेकिन ऐसा करना संभव न हो तो तुलसी के पास दीपक जलाकर या अपने घर के मंदिर में बैठकर प्रभु नाम की महिमा का गुणगान करें। 

स्कंदपुराण में कहा गया है किसी भी बुझे हुए दीपक को जलाने अथवा उसे हवा से बचाने वाला व्यक्ति भी प्रभु की कृपा का पात्र बनता है। 

30 दिन तक भूमि पर शयन करें।

पितरों के लिए आकाश में दीपदान करें, ऐसा करने से कभी भी क्रूर मुख वाले यमराज का दर्शन नहीं करना पड़ता। नरक में पड़े पितर भी उत्तम गति को प्राप्त होते हैं।

नदी किनारे, देवालय, सडक़ के चौराहे पर दीपदान करने से कभी न खत्म होने वाली लक्ष्मी कृपा होती है।

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ध्यान रखें- कार्तिक मास में हरि नाम का चिंतन, भजन, कीर्तन, श्री रामायण, श्री विष्णुसहस्त्रनाम और श्रीमद्भागवत का पाठ करने का महत्व कई गुणा अधिक बढ़ जाता है। कार्तिक मास की कथा स्वयं भी सुनें और दूसरों को भी सुनाएं। 

कार्तिक में केला और आंवले के फल का दान करना सबसे श्रेयस्कर है।

दान की महिमा- सकंदपुराण में बताया गया है दानों में श्रेष्ठ कन्यादान है, कन्यादान से बड़ा विद्या दान, विद्यादान से बड़ा गोदान, गोदान से बड़ा अन्न दान माना गया है। अन्न ही सारी सृष्टि का आधार है इसलिए अन्न दान अति उत्तम कर्म माना गया है। इसके अतिरिक्त अपनी शक्ति के अनुसार वस्त्र, धन, जूता, गद्दा, छाता व किसी भी वस्तु का दान करना चाहिए।

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Niyati Bhandari

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