क्या केजरीवाल के जेल से काम करने पर कोई रोक है: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा
punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2024 - 08:19 PM (IST)
नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जेल से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने पर रोक का कोई आदेश है? न्यायालय को बताया गया था कि पात्र दोषियों की सजा माफी से संबंधित फाइलों में उनके हस्ताक्षर नहीं हो पाने से देरी हो रही है। सजा माफी (रिमीशन) का मतलब किसी कैदी की सजा के एक हिस्से को रद्द करना या कम करना है।
दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 432 के तहत, राज्य सरकारें कैदी के आचरण, पुनर्वास, स्वास्थ्य और जेल में बिताए गए समय जैसे कारकों के आधार पर किसी दोषी की सजा का पूरा या आंशिक हिस्सा माफ कर सकती हैं। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एक दोषी की सजा को माफ करने में कथित देरी की उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा, ‘‘जेल से मुख्यमंत्री के काम करने पर क्या रोक का कोई आदेश है? हम यह पता लगाना चाहते हैं क्योंकि इससे सैकड़ों मामलों पर असर पड़ेगा।''
उसने कहा, ‘‘बहुत सारी फाइल वहां होंगी क्योंकि अदालत ने अनेक ऐसे आदेश पारित किए हैं जो मुख्यमंत्री से संबंधित हैं। क्या मुख्यमंत्री के ऐसी महत्वपूर्ण फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर कोई रोक है?'' अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करेंगी और अदालत आएंगी। न्यायालय ने पहले के एक आदेश में दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि दोषियों की सजा माफी के सवाल पर दो महीने के अंदर फैसला करें। हालांकि इस समयसीमा को जुलाई में एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया।
केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च को और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 जून को गिरफ्तार किया था। कानून के जानकारों के अनुसार जेल में बंद किसी मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने पर संविधान या कानून में कोई रोक नहीं है, लेकिन जेल से सरकार चलाना ‘व्यावहारिक रूप से असंभव' है। विधिक विशेषज्ञों की राय दिल्ली उच्च न्यायालय की 28 मार्च की टिप्पणियों के अनुरूप हैं जिसमें उसने केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के अनुरोध वाली जनहित याचिका खारिज कर दी थी।