अमेरिकी टैरिफ से भारत को नहीं पहुंचा नुकसान, इस रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 08:59 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एसबीआई रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि ग्लोबल मार्केट में जारी उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत का निर्यात स्थिर बना हुआ है। वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल से सितंबर के बीच भारत का एक्सपोर्ट 220 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि के 214 अरब डॉलर से 2.9% अधिक है। खास बात यह कि अमेरिका को निर्यात 13% बढ़कर 45 अरब डॉलर हो गया, हालांकि सितंबर में साल-दर-साल आधार पर लगभग 12% की गिरावट दर्ज की गई।

अमेरिका अभी भी भारत का प्रमुख बाजार है, लेकिन जुलाई 2025 के बाद इसकी हिस्सेदारी घटी है- सितंबर में यह घटकर 15% रह गई। समुद्री उत्पादों में अमेरिका की हिस्सेदारी 20% से 15%, और कीमती पत्थरों में 37% से 6% तक नीचे आ गई है, जो विशेषज्ञों को चौकाने वाला बदलाव लगता है।

किन देशों में बढ़ा भारत का एक्सपोर्ट?

अप्रैल से सितंबर की अवधि में समुद्री उत्पाद और तैयार सूती कपड़ों की शिपमेंट में मजबूत बढ़ोतरी हुई। साथ ही भारत का एक्सपोर्ट भौगोलिक रूप से और ज्यादा डायवर्सिफाई हो गया। यूएई, चीन, वियतनाम, जापान, हांगकांग, बांग्लादेश, श्रीलंका और नाइजीरिया में कई तरह के भारतीय उत्पादों की हिस्सेदारी तीव्र वृद्धि के साथ बढ़ी है।

एसबीआई रिसर्च का मानना है कि यह बढ़ोतरी संभवतः इनडायरेक्ट इंपोर्ट रूट का संकेत भी हो सकती है- जैसे अमेरिका द्वारा कीमती पत्थरों के इंपोर्ट में ऑस्ट्रेलिया की हिस्सेदारी 2% से 9%, और हांगकांग की 1% से 2% तक बढ़ना।

सरकार की ओर से बड़ा सपोर्ट

अमेरिकी टैरिफ दबाव के बीच भारत सरकार ने निर्यातकों के लिए 45,060 करोड़ रुपये की सहायता मंजूर की है। इसमें 20,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी भी शामिल है। वहीं वित्तीय अस्थिरता के माहौल में भारतीय रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले फिसलकर 89.49 पर आ गया।

फिस्कल डेफिसिट में सुधार- लेकिन आगे क्या?

वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में भारत का फिस्कल डेफिसिट घटकर जीडीपी का 0.2% रह गया, जो एक साल पहले 0.9% था। इस सुधार को सर्विस एक्सपोर्ट और रेमिटेंस से मजबूत सपोर्ट मिला। एसबीआई रिसर्च का अनुमान है कि अगली दो तिमाहियों में घाटा मामूली बढ़ेगा, लेकिन वित्त वर्ष के अंत तक स्थिति फिर से पॉजिटिव हो सकती है। पूरे वर्ष का फिस्कल डेफिसिट 1.0%–1.3% जीडीपी के बीच और बैलेंस ऑफ पेमेंट गैप लगभग 10 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।


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News Editor

Parveen Kumar

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