अमेरिकी रिपोर्ट में Shocking खुलासा: चीन की सेना PLA बनी ‘सुपर फोर्स’, समंदर से आसमान तक बढ़ा खतरा
punjabkesari.in Monday, Nov 10, 2025 - 03:39 PM (IST)
International Desk: चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने हाल के वर्षों में जिस तेज़ी से खुद को आधुनिक बनाया है, उसने न सिर्फ एशिया बल्कि अमेरिका तक की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी थिंक टैंक Center for Strategic and International Studies (CSIS) की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की सैन्य ताकत अब विश्व स्तर पर अमेरिका के सबसे बड़े “पेसिंग थ्रेट” के रूप में उभर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2012 में सत्ता संभालने के बाद से PLA में बड़े पैमाने पर सुधार किए। उन्होंने सेना में अनुशासन, तकनीकी उन्नति और रक्षा खर्च को प्राथमिकता दी। कभी पुरानी तकनीक पर चलने वाली यह सेना अब आधुनिक हथियारों, साइबर वॉरफेयर सिस्टम और मिसाइल शक्ति से लैस हो चुकी है।
रक्षा बजट में 13 गुना वृद्धि
- CSIS रिपोर्ट बताती है कि चीन का रक्षा बजट पिछले 30 वर्षों में 13 गुना बढ़ा है।
- 1995 में चीन का रक्षा बजट कुछ अरब डॉलर था।
- 2025 में यह बढ़कर 247 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया (चीन का आधिकारिक आंकड़ा)।
- वहीं, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने वास्तविक रक्षा खर्च 318 अरब डॉलर आंका, जबकि यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की एक रिपोर्ट ने इसे 471 अरब डॉलर तक बताया।
- रिपोर्ट कहती है कि 2012 में चीन का रक्षा खर्च अमेरिका का सिर्फ छठा हिस्सा था, लेकिन 2024 तक यह एक-तिहाई हो गया।
इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती दादागिरी
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन अब जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अमेरिकी सहयोगियों से कई गुना अधिक खर्च कर रहा है-जापान से 5 गुना, दक्षिण कोरिया से 7 गुना और ताइवान से तो चीन का बजट कई दर्जन गुना बड़ा है। ताइवान का पूरा वार्षिक रक्षा बजट अब चीन के सिर्फ एक साल के वृद्धि हिस्से के बराबर है। इस वजह से ताइवान अब असिमिट्रिक डिफेंस स्ट्रेटेजी (असमान युद्ध रणनीति) अपनाने को मजबूर है, जिससे वह चीन को भारी नुकसान पहुंचाकर आक्रमण रोक सके।
दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना
PLA नौसेना (PLAN) अब दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुकी है। वर्तमान में चीन के पास 350 युद्धपोत हैं, जबकि अमेरिका के पास लगभग 290 हैं। CSIS का अनुमान है कि 2030 तक चीन के पास 435 जहाजों का बेड़ा होगा। हाल ही में चीनी नौसेना ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के पास समुद्री अभ्यास कर दोनों देशों को चौकन्ना कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि “हालांकि अमेरिका अभी भी जहाजों के कुल टन भार और मिसाइल लांचर्स के मामले में आगे है, लेकिन चीन इन क्षेत्रों में तेजी से बराबरी कर रहा है।”
आसमान में भी चीन का दबदबा
PLA एयरफोर्स और नेवी दोनों ने अपने कम्बैट एयरक्राफ्ट बेड़े में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। चीन अब दो फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट्स J-20 और J-35/J-35A का संचालन कर रहा है। अमेरिका की तरह चीन भी अब सिक्स्थ-जेनरेशन फाइटर जेट्स की टेस्टिंग कर रहा है। इसका मतलब है कि चीन अब तकनीकी रूप से न केवल एशिया बल्कि वैश्विक एयरोस्पेस शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।
न्यूक्लियर और साइबर शक्ति में भी बढ़त
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन अब अपने न्यूक्लियर हथियार भंडार को तेजी से बढ़ा रहा है।
- चीन के पास अब सैकड़ों इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) हैं।
- साथ ही, उसने हाइपरसोनिक वेपन्स और सैटेलाइट किलर सिस्टम में भी भारी निवेश किया है।
- साइबर युद्ध और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में चीन की क्षमताएं भी अब अमेरिका और रूस के बराबर पहुंच रही हैं।
अमेरिका की बढ़ती चिंता
अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्टों के अनुसार, चीन की यह सैन्य प्रगति “पेसिंग थ्रेट” है — यानी ऐसा प्रतिद्वंद्वी जिसकी गति से अमेरिका को अपनी नीतियों को लगातार पुनर्गठित करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, शी जिनपिंग का लक्ष्य 2049 तक चीन को “विश्व की शीर्ष सैन्य शक्ति” बनाना है, ताकि वह अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती दे सके।
