तिरंगा झंडा है ताकत का मंत्र,आइए जानें

punjabkesari.in Sunday, Aug 11, 2019 - 11:04 AM (IST)

तिरंगा (Tiranga) झंडा जिस शान से लहराता है उसे देखकर हर भारतवासी का हृदय भावों से भर जाता है। देश के प्रति समर्पण और प्रेम का संचार मन में होता है। यह तिरंगा झंडा (Tiranga Jhanda) ही है जिसको देखकर सैनिक सीमा पर पूरे साहस के साथ तैनात रहते हैं और दुश्मनों के छक्के छुड़ाते रहते हैं। अपनी जान की भी परवाह नहीं करते ऐसा अदम्य साहस भारतीय तिरंगा के दम पर ही सैनिकों के भीतर पैदा होता है। आजाद भारत और वर्तमान दौर जब नया भारत बनने की बात की जा रही है, उसमें राष्ट्रीय तिरंगा झंडा तरक्की का मंत्र बन गया है। आमजन के मन में राष्ट्रीयता की भावना का संचार इंडियन तिरंगा के माध्यम से हो रहा है। आंखों के लिए सामने लहराता राष्ट्रीय तिरंगा और मन में देश के लिए कुछ कर गुजरने का संकल्प भारत को नया भारत बना रहा है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (Indian National Flag) 21वीं सदी के इस दौर में विकास मंत्र बन गया है।  

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राष्ट्रीय ध्वज इस तरह गया बदला 

प्रथम राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकाता में फहराया गया था। इस हिंदी तिरंगा को लाल, पीले और हरे रंग की पट्टियों से बनाया गया था।

द्वितीय राष्ट्रीय ध्वज 1907, यह पहले ध्वज के समान ही था। हां, इसमें ऊपरी हिस्से में तारे बनाए गए थे। बीच में वंदे मातरम लिखा था।

तृतीय राष्ट्रीय ध्वज 1917 में आया था। डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया था।

चौथे राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया। दो प्रमुख समुदायों हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करने वाला यह ध्वज था।

पांचवां राष्ट्रीय ध्वज 1931 में आया। यह वर्तमान ध्वज के समान ही था, बस चक्र की जगह चरखा निशान इसमें था। इसके बाद वह ध्वज अपनाया गया जो वर्तमान में है।

स्वतंत्रता दिवस (15 August) या गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर तिरंगा झंडा फहराने के साथ ही राष्ट्रभक्ति से संबंधित कार्यक्रम आदि समाप्त हो जाते थे। लेकिन, नया भारत जिस तरह से सूचना क्रांति से लबरेज है, उसमें अब पर्व से कई दिन पहले ही देशप्रेम की लहर सी दौड़ जाती है। नए दौर में राष्ट्रीय धवज (National Flag) हर भारतीय के मन में अंकित हो गया है। स्मार्ट फोन पर तिरंगा झंडा प्रति प्रेम का प्रदर्शन सहजता से देखा और समझा जा सकता है। वो कहते हैं ना कि जब भावनाएं बलवती होती हैं तो व्यक्ति नामुमकिन को भी मुमकिन करके दिखा देता है। यही बात यहां भी लागू होती है, तिरंगे के प्रति सम्मान से सराबोर संदेश मोबाइल आदि के माध्यम से जब एक-दूसरे के पास पहुंचते हैं तो मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण राष्ट्रीयता का संचार होता है। चूंकि आज के दौर में डिजिटल इंडिया की बदौलत सब कुछ इंटरनेट के माध्यम से सोशल मीडिया पर उपलब्ध है, ऐसे में देखते-देखते राष्ट्रप्रेम के संदेश करोड़ों देशवासियों के बीच फैल जाते हैं। इन संदेशों के प्रभाव से लोग देश के लिए अच्छे से अच्छा करने का संकल्प लेते हैं। इसके बाद दृढ इच्छाशक्ति की बदौलत वह सारे काम सफल होते हैं, जिनको मुश्किल कहा जाता है।

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तिरंगा झंडा के रंगों का अर्थ

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से मिलकर बना है। सबसे ऊपर जो केसरिया रंग है। वह साहस का प्रतीक है। बीच में सफेद रंग शांति और नीचे का हरा रंग शुभ और विकास का संदेश देता है। बीच में अशोक चक्र है। राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान प्रारूप जो आज है उसे भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई, 1947 को अपनाया था। दुनिया के प्रत्येक देश के लिए उनका ध्वज होना जरूरी होता है। राष्ट्रीय ध्वज लहराने का अर्थ देश में यहीं के नागरिकों की सत्ता होना होता है। धर्म भले अलग हों, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज जो एक है, वह सभी को एक साथ लाकर खड़ा करता है। इससे तिरंगा एकता का भी बीजमंत्र है। 15 अगस्त, 1947 और 26 जनवरी, 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को अपनाया गया। भारत में इससे काफी पहले भी ध्वज हुआ करते थे।

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तिरंगा इमेज अशोक चक्र का महत्व

तिरंगे के चक्र का अर्थ है गतिशील बने रहना। मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से चक्र के प्रारूप को ध्वज में शामिल किया गया।

 

राष्ट्रीय ध्वज भारतीय नागरिक शान से हैं फहरा सकता 


भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन करने के बाद भारत के नागरिकों को अपने मकानों, दफ्तरों राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति मिल गई है। भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को जब चाहें फहरा सकते हैं। लेकिन, तिरंगे के शान में कमी नहीं आनी चाहिए औश्र ध्वज संहिता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

 

ऐसा करना है वर्जित

राष्ट्रीय ध्वज को सांप्रदायिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं लाया जा सकता। पूरा सम्मान करते हुए इसका ख्याल रखना चाहिए। वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेल, नाव या वायुयान आदि पर लपेटा नहीं जा सकता। सबसे खास बात यह है कि किसी अन्य ध्वज या ध्वज पट्ट को राष्ट्रीये ध्वज से ऊंचे स्थान पर नहीं लगाया नहीं जा सकता है।

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तिरंगा झंडा से बाजार हैं गुलजार

चांदनी चौक का सदर राष्ट्रीय ध्वज का सबसे बड़ा बाजार है। जहां छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा झंडा उपलब्ध है। देशभर के लोग विभिन्न अवसरों पर यहां आते हैं और बड़ी संख्या में राष्ट्रीय ध्वज लेकर जाते हैं। यहां बिकने वाले तिरंगे देश के कई अलग अलग हिस्सों में बनाए जाते हैं और बिक्री के लिए सदर पहुंचते हैं। सदर बाजार के थोक व्यापारी मोहम्मद जावेद के अनुसार सूरत, मथुरा, गुजरात, कोलकाता आदि से तिरंगा झंडा यहां पहुंचता है और फिर यहां से ये अन्य राज्यों में जाता है। उन्होंने कहा दिलचस्प बात यह है कि जहां से यह बनकर आते हैं वहां के थोक विक्रेता भी दिल्ली के सदर में ध्वज खरीदने आते हैं। बाजार में खादी कपड़े और प्लास्टिक के झंडे खूब बिक रहे हैं। कपड़े के झंडे फहराने के काम आते हैं। जबकि प्लास्टिक के झंडे छोटे होते हैं। जो बच्चों के हाथ में होते हैं।


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Seema Sharma

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