BJP Bihar President: जानें कौन हैं संजय सरावगी जिन्हें BJP ने बनाया बिहार का अध्यक्ष, जेल से लेकर मंत्री तक ऐसा रहा उनका सफर
punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 06:23 PM (IST)
नेशनल डेस्क: BJP ने संगठन में बड़े फेरबदल की श्रृंखला जारी रखी है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नितिन नबीन की नियुक्ति के बाद अब पार्टी ने बिहार में संगठन का चेहरा बदल दिया है। बीजेपी ने अनुभवी नेता और 5 बार के विधायक संजय सरावगी को बिहार प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। उन्होंने दिलीप जायसवाल की जगह ली है।
संजय सरावगी को संगठन और सरकार दोनों का गहरा सियासी अनुभव है। उनका राजनीतिक सफर RSS के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से शुरू हुआ था, जिसके बाद उन्होंने निगम पार्षद से लेकर विधायक और मंत्री तक का सफर तय किया।
कौन हैं संजय सरावगी? जानें कैसा रहा उनका राजनीतिक सफर
संजय सरावगी का जन्म 28 अगस्त 1969 को दरभंगा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से एमकॉम और एमबीए की डिग्री ली है। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत ABVP से की। 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान उन्हें 15 दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा था।1995 में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ली और युवा मोर्चा में विभिन्न पदों पर काम किया। सरावगी ने सबसे पहले 2000 में दरभंगा के निगम वार्ड से पार्षद का चुनाव जीता। इसके बाद 2005 में पार्टी ने उन्हें दरभंगा नगर सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा। विधायक बनने के बाद उन्होंने इस सीट को बीजेपी का एक मजबूत गढ़ बना दिया। वह इस सीट से लगातार 6 बार -2005, 2010, 2015, 2020 और 2025 विधायक चुने गए हैं, जो उनकी पकड़ को दर्शाता है। पिछली नीतीश कुमार सरकार में कैबिनेट विस्तार के दौरान उन्हें मंत्री भी बनाया गया था। वह मैथिली भाषा में पद और गोपनीयता की शपथ लेकर सुर्खियों में आए थे।
वैश्य समुदाय को साधने की रणनीति
संजय सरावगी दरभंगा और मिथिलांचल क्षेत्र में बीजेपी के एक चर्चित चेहरा हैं। वह वैश्य समुदाय से आते हैं और व्यापारी वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। बीजेपी वैश्य समाज को अपना कोर वोटबैंक मानती है। संजय सरावगी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने अपने इस परंपरागत वैश्य समाज को एक मजबूत सियासी संदेश देने की कोशिश की है। दिलीप जायसवाल से पहले संजय जायसवाल भी इसी समाज से आते थे। इस नियुक्ति से पार्टी ने संगठन में वैश्य नेतृत्व को बनाए रखा है।


