गर्भ में बच्चा... हाथ में बंदूक... और सामने था पाकिस्तान, जंग के मौदान में डटी रही ये प्रेगनेंट सैनिक महिला
punjabkesari.in Sunday, May 11, 2025 - 02:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क – जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो भारत अपनी सीमाओं की रक्षा करने में कभी पीछे नहीं हटता। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत के कड़े सैन्य रुख ने एक बार फिर पाकिस्तान को घुटनों पर ला खड़ा किया है। बीते दिनों भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्रवाई ने दुनिया को साफ संकेत दे दिया कि भारत जब चाहे, पड़ोसी मुल्क का भूगोल बदल सकता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए चार युद्धों में भारत हर बार विजयी रहा है, लेकिन कारगिल युद्ध सबसे कठिन और निर्णायक साबित हुआ। यह जंग तीन महीनों तक चली और इस दौरान भारतीय सेना ने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। इस ऐतिहासिक लड़ाई के कुछ किस्से आज भी लोगों की आंखें नम कर देते हैं और दिल में गर्व भर देते हैं। इन्हीं में से एक है कैप्टन यशिका त्यागी की प्रेरणादायक कहानी।
कैप्टन यशिका: गर्भवती थीं, फिर भी मोर्चे पर डटी रहीं
भारतीय सेना की अधिकारी कैप्टन यशिका त्यागी ने कारगिल युद्ध के दौरान न केवल देश के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि उस समय वह गर्भवती भी थीं। एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह अपने प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में थीं, और उनके साथ उनका दो साल का बच्चा भी था। उन्होंने कमांडिंग ऑफिसर से अपने बच्चे को साथ रखने की इजाजत मांगी और हाथ में कार्बाइन लेकर मोर्चे पर डट गईं।
"लोगों को ये सब कहानियां अविश्वसनीय लगती हैं," यशिका कहती हैं, "लेकिन यही असली भारतीय सेना है।" उन्होंने बताया कि उस दौरान एक ऐसा वक्त भी आया जब शहीद होने वालों की संख्या बढ़ने लगी। तब आदेश दिया गया कि एडवांस में 50 ताबूत तैयार रखें। लेकिन जवानों ने यह कहकर मना कर दिया कि हम अपने भाइयों के लिए पहले से ताबूत तैयार नहीं कर सकते। जरूरत पड़ी तो आधे घंटे में बना देंगे।
एक मां, एक सैनिक – और एक मिसाल
कैप्टन यशिका त्यागी न सिर्फ एक सैनिक थीं, बल्कि एक मां भी थीं, और दोनों भूमिकाओं में उन्होंने वह कर दिखाया जिसे सोच पाना भी मुश्किल है। युद्ध के मैदान में गर्भावस्था के साथ लड़ना केवल साहस की नहीं, बल्कि मातृभूमि के प्रति उस निष्ठा की गवाही देता है, जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है।
भारत की सैन्य शक्ति पर एक नजर
आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है। 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी कार्रवाइयों ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय सेना न केवल युद्ध जीतने में सक्षम है, बल्कि वह मनोबल, संकल्प और समर्पण की मिसाल भी है। चाहे कारगिल हो या मौजूदा तनाव, भारत हर मोर्चे पर तैयार है।