सीक्रेट रिपोर्ट ने बताया चीन का मंसूबा, लद्दाख में भारत को टकराव के लिए रहना होगा तैयार!

punjabkesari.in Friday, Jan 27, 2023 - 05:54 PM (IST)

नेशनल डेस्कः एक खुफिया रिपोर्ट ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। पूर्वी लद्दाख में चीन एक बार आक्रामक तरीका अपना सकता है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के एक आकलन के अनुसार लद्दाख के विवादित क्षेत्रों में भारत और चीनी सैनिकों के बीच फिर से टकराव हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में चीन अपनी मिलिट्री तैयारियां लगातार मजबूत कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के सैनिकों में और भी झड़पें हो सकती है। इससे पहले यह खुलासा हुआ था कि भारत ने 65 में ऐसे 26 पेट्रोलिंग पॉइंट पर अपना नियंत्रण खो दिया है, जहां बीएसएफ की पेट्रोलिंग नहीं हो रही थी।

पिछले हफ्ते हुई डीजीपी और आईजीपी की बैठक में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए संबंधित दस्तावेज में कहा गया है कि देश की सीमा रक्षा रणनीति को भविष्य के लिए आर्थिक प्रोत्साहन के साथ एक नया अर्थ और उद्देश्य दिया जाना चाहिए. पत्र में कहा गया कि रणनीति को क्षेत्र-विशिष्ट बनाया जाना चाहिए, उदाहरण के लिए तुरतुक या सियाचिन सेक्टर और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) या देपसांग मैदान में सीमा पर्यटन को आक्रामक रूप से बढ़ावा दिया जा सकता है।

डीबीओ में काराकोरम दर्रे के बारे में दस्तावेज में कहा गया कि इसका भारत के रेशम मार्ग के इतिहास से एक प्राचीन संबंध है, और घरेलू पर्यटकों के लिए क्षेत्र खोलने से इसके दूरदारज स्थित होने का विचार खत्म होगा। दस्तावेज में कहा गया कि दर्रे पर साहसिक अभियानों को फिर से शुरू किया जा सकता है और ट्रेकिंग और लंबी पैदल यात्रा के क्षेत्रों को सीमित तरीके से खोला जा सकता है। इसमें कहा गया कि पूर्वी सीमा क्षेत्र में चीन की काफी अधिक आर्थिक और रणनीतिक आवश्यकता है और वह आक्रामक रूप से अपनी सेना की तैनाती कर रहा है, ताकि वह भारत की ओर गश्त बिंदुओं (पीपी) से चिह्नित गैर-बाड़बंदी वाले क्षेत्रों पर दावा जताने के लिए दबदबा कायम कर सके।

तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और देश के करीब 350 शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने भी शिरकत की। दस्तावेज में कहा गया है कि डेमचोक में छोटा कैलाश पर्वत को पूजा-अर्चना करने के वास्ते पर्यटकों के लिए खोला जा सकता है और इससे उन धर्मपरायण हिंदुओं के लिए धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है जो मानसरोवर यात्रा पर


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Content Writer

Yaspal

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