India का थोक मूल्य सूचकांक January 2025 में घटा, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा

punjabkesari.in Friday, Feb 14, 2025 - 12:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क। भारत का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) जनवरी 2025 में दिसंबर 2024 के 2.37 प्रतिशत से घटकर 2.31 प्रतिशत हो गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा आज जारी किए गए आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। मंत्रालय ने बताया कि इस गिरावट का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं के निर्माण और खाद्य उत्पादों के निर्माण की कीमतों में वृद्धि है। इसके अलावा कपड़ा विनिर्माण लागत में बढ़ोतरी भी मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण हो सकती है।

खाद्य महंगाई में कमी और ईंधन की कीमतों में गिरावट

जनवरी 2025 में WPI खाद्य सूचकांक बढ़कर 7.47 प्रतिशत हो गया जबकि दिसंबर 2024 में यह 8.89 प्रतिशत था। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण यह आंकड़ा बढ़ा। वहीं ईंधन की कीमतों में जनवरी में 2.78 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि दिसंबर में यह गिरावट 3.79 प्रतिशत रही थी। इससे यह संकेत मिलता है कि ईंधन की कीमतों में कमी का असर मुद्रास्फीति पर पड़ा है।

निर्माण क्षेत्र में वृद्धि

जनवरी में विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि का आंकड़ा 2.51 प्रतिशत पर पहुंच गया जो कि पिछले महीने (दिसंबर 2024) के 2.14 प्रतिशत से अधिक था।

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खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट

भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2025 में घटकर 4.31 प्रतिशत पर आ गई जो दिसंबर 2024 में 5.22 प्रतिशत थी। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण आई। इस गिरावट के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आगामी बैठक में अप्रैल में रेपो दर में और कटौती कर सकता है।

 

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खाद्य मुद्रास्फीति में कमी

खाद्य मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 6.02 प्रतिशत हो गई जबकि दिसंबर में यह 8.39 प्रतिशत थी। इसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में गिरावट रही जो दिसंबर में 26.6 प्रतिशत से घटकर जनवरी में 11.35 प्रतिशत रह गई।

 

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औद्योगिक उत्पादन में धीमापन

हालांकि मुद्रास्फीति के आंकड़े सकारात्मक रहे लेकिन औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि धीमी हो गई है। दिसंबर 2024 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) 3.21 प्रतिशत बढ़ा जो कि चार महीने का निचला स्तर है। नवंबर 2024 में यह 4.96 प्रतिशत था। इस गिरावट का मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र में मंदी रही।

इससे यह साफ होता है कि भारत की अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के बावजूद औद्योगिक उत्पादन में कुछ चुनौतियां हैं।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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