Earthquake: भारत का सबसे खतरनाक भूकंप, 13 हजार लोगों ने गंवाई थी जान, लग गए थे लाशोंं के ढेर

punjabkesari.in Friday, Mar 28, 2025 - 02:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क: गणतंत्र दिवस का दिन हर भारतीय के लिए गर्व और उल्लास से भरा होता है, लेकिन गुजरात के भुज के लोगों के लिए 26 जनवरी 2001 की सुबह आज भी डरावनी यादों की तरह जिंदा है। इस दिन भुज ने अपने इतिहास का सबसे भयावह मंजर देखा, जब 7.7 तीव्रता के भूकंप ने पूरे कच्छ क्षेत्र को हिला कर रख दिया। इस आपदा में 13,000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई और हजारों परिवार बेघर हो गए। वो 51वां गणतंत्र दिवस था। स्कूलों में ध्वजारोहण के कार्यक्रम हो रहे थे, बच्चे राष्ट्रगान गा रहे थे और हर कोई अपने-अपने काम में व्यस्त था। लेकिन सुबह 8:46 बजे धरती कांप उठी और दो मिनट के भीतर ही कच्छ और आसपास के इलाके तबाह हो गए। इस भूकंप ने भुज, भचाऊ और अंजार को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। देखते ही देखते इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं, सैकड़ों गांव नष्ट हो गए और हजारों लोग मलबे के नीचे दब गए।

भूकंप के बाद दर्दनाक हालात

भूकंप के बाद चारों तरफ चीख-पुकार मची थी। अस्पताल घायलों से भर गए, हर जगह तबाही का मंजर था। कच्छ का बुनियादी ढांचा पूरी तरह बर्बाद हो चुका था। बिजली, पानी और संचार सुविधाएं ठप हो गई थीं। हजारों लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए। इस भूकंप के झटके अहमदाबाद, सूरत और मुंबई तक महसूस किए गए।

भारत में आई अब तक की सबसे भयानक आपदाओं में से एक

26 जनवरी 2001 का भुज भूकंप भारत के इतिहास में अब तक की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार:

  • 13,805 से अधिक लोग मारे गए

  • 1,67,000 से अधिक लोग घायल हुए

  • लगभग 4,00,000 घर नष्ट हुए

  • 6,30,000 लोग बेघर हो गए

भुज को फिर से खड़ा करने की कोशिश

इस आपदा के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राहत और पुनर्वास कार्यों में तेजी लाई। इसके बाद नरेंद्र मोदी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री बने, ने इस क्षेत्र के पुनर्निर्माण की कमान संभाली। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के प्रयासों से भुज को फिर से बसाने का काम शुरू हुआ। दुनियाभर से मदद मिली और युद्धस्तर पर पुनर्निर्माण कार्य किया गया।
भूकंप में जान गंवाने वालों की याद में भुज में "स्मृतिवन" बनाया गया। यह 470 एकड़ में फैला एक स्मारक है, जिसमें उन सभी लोगों के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने इस त्रासदी में अपनी जान गंवाई थी। यहां पर पुनर्निर्माण की गाथा भी दर्शाई गई है, जो बताती है कि कैसे गुजरात ने इस आपदा से उबर कर फिर से खड़े होने का साहस दिखाया।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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