चीन की चालबाजी का जवाब उसी की भाषा में, भारत के ''डबल दोस्तों'' ने खेला बड़ा दांव, अब ड्रैगन के छूटेंगे पसीने
punjabkesari.in Monday, Jul 21, 2025 - 12:50 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत और चीन के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण रहे हैं लेकिन इस बार मामला कृषि क्षेत्र से जुड़ गया। चीन ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत को डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) की आपूर्ति रोककर संकट खड़ा कर दिया। डीएपी एक जरूरी उर्वरक है जिसका इस्तेमाल खासतौर पर रबी और खरीफ सीजन में होता है। चीन का ये फैसला उस समय आया जब भारत पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चला रहा था। बीजिंग ने उस वक्त ऐसा करके यह जताने की कोशिश की कि वो पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करेगा और भारत पर दबाव बनाएगा। यही वजह थी कि चीन की इस साजिश को सप्लाई चेन को हथियार बनाने का प्रयास कहा गया।
भारत ने दिखाई कूटनीतिक चतुराई
भारत सरकार ने हालात को समझते हुए तुरंत एक कूटनीतिक मिशन शुरू किया। भारत को पता था कि यदि डीएपी की आपूर्ति समय पर नहीं हुई तो रबी सीजन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में विदेश मंत्रालय और उर्वरक मंत्रालय ने मिलकर कई देशों से संपर्क किया और विकल्प तलाशने शुरू किए।
सऊदी अरब और मोरक्को बने संकट में साथी
भारत के पुराने मित्र सऊदी अरब और मोरक्को ने इस कठिन समय में बड़ी मदद की। भारत ने सऊदी अरब के साथ एक समझौता किया जिसके तहत 31 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति सुनिश्चित की गई। साथ ही मोरक्को से भी 5 लाख मीट्रिक टन डीएपी आने वाला है। चीन से अब भी 22 लाख मीट्रिक टन डीएपी का आयात हुआ है लेकिन यह पहले की तुलना में बहुत कम है। ऐसे में इन दोनों मित्र देशों की भूमिका भारत के लिए बेहद अहम रही। इससे यह साबित हुआ कि संकट में असली दोस्त ही काम आते हैं।
रूस भी आया साथ, बात चल रही है और देशों से
भारत ने रूस के साथ भी डीएपी और अन्य उर्वरकों के निर्यात को लेकर बातचीत तेज कर दी है। रूस से उम्मीद है कि वो भी बड़ा योगदान देगा। इसके अलावा भारत मिस्र, नाइजीरिया, टोगो, ट्यूनीशिया और मॉरिटानिया जैसे अफ्रीकी देशों से भी संपर्क में है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।
भारत की रणनीति से संकट पर पाया काबू
सरकार का दावा है कि रबी सीजन की शुरुआत से पहले डीएपी की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध होगी। बची हुई लगभग 7 लाख मीट्रिक टन की जरूरत को घरेलू स्टॉक से पूरा करने की योजना है। यह साफ हो गया है कि भारत अब केवल एक देश पर निर्भर नहीं रहेगा। सरकार की रणनीति यह है कि सप्लाई चेन को विविध बनाया जाए ताकि किसी भी संकट में विकल्प मौजूद रहें।
चीन की चालबाजी का जवाब उसी की भाषा में
चीन ने सप्लाई चेन को हथियार बनाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन भारत ने यह साबित कर दिया कि वह अब केवल बाजार या कूटनीति के सहारे नहीं, बल्कि ठोस रणनीति से जवाब देगा। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान चीन ने पाकिस्तान को समर्थन देकर भारत को चौंकाने की कोशिश की थी लेकिन भारत ने अपने कूटनीतिक मित्रों की मदद से न केवल संकट को टाला बल्कि चीन को यह भी दिखा दिया कि अब भारत अकेला नहीं है।