दलाई लामा का पुनर्जन्म कौन तय करेगा? चीन का दावा और भारत की दो टूक, पूरी कहानी चौंका देगी

punjabkesari.in Sunday, Jul 06, 2025 - 01:49 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दलाई लामा और उनकी पुनर्जन्म की परंपरा को लेकर चीन और भारत के बीच एक बार फिर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने हाल ही में यह बयान दिया है कि दलाई लामा के पास यह अधिकार नहीं है कि वे तय करें कि पुनर्जन्म प्रणाली जारी रहेगी या नहीं। शू फेइहोंग ने यह भी कहा कि 14वें दलाई लामा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि दलाई लामा की परंपरा और उत्तराधिकार की प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि पुनर्जन्म प्रणाली कोई नई बात नहीं है बल्कि यह परंपरा तिब्बती बौद्ध धर्म में 700 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही है।

चीन की दलील: यह परंपरा सिर्फ दलाई लामा तक सीमित नहीं

चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने तर्क दिया कि तिब्बत और चीन के अन्य तिब्बती-बहुल प्रांतों जैसे सिचुआन, युन्नान, गांसु और किंगहाई में इस समय 1,000 से अधिक पुनर्जन्म प्रणालियाँ सक्रिय हैं। उनके अनुसार, 14वें दलाई लामा केवल इस विस्तृत धार्मिक परंपरा का एक हिस्सा भर हैं। उन्होंने कहा: "दलाई लामा का पुनर्जन्म न तो उनके साथ शुरू हुआ था और न ही उनके साथ खत्म होगा। उन्हें यह तय करने का कोई अधिकार नहीं है कि पुनर्जन्म की यह धार्मिक प्रणाली जारी रहेगी या नहीं।"

भारत का जवाब: परंपरा और आस्था का निर्णय बाहरी नहीं कर सकते

चीन के इस बयान के कुछ ही दिन बाद भारत के केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, जो स्वयं एक बौद्ध हैं, ने इसका स्पष्ट और सधा हुआ जवाब दिया। उन्होंने कहा: "दलाई लामा बौद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और परिभाषित संस्था हैं। उनकी परंपरा और इच्छा के अनुसार ही उनके उत्तराधिकारी का निर्णय लिया जाएगा। बाहरी ताकतों को इस धार्मिक परंपरा में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।" रिजिजू के इस बयान को चीन के दावे का सीधा और मजबूत जवाब माना जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल वर्तमान दलाई लामा और उनकी परंपराएं ही यह तय कर सकती हैं कि अगला दलाई लामा कौन होगा।

क्या है दलाई लामा की पुनर्जन्म प्रणाली?

तिब्बती बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की धारणा के अनुसार, जब कोई उच्च आध्यात्मिक गुरु या लामा शरीर त्यागता है तो वह पुनः जन्म लेता है और अपने अनुयायियों को मिल जाता है।
दलाई लामा को 'जीवित बुद्ध' या ‘तुल्कु’ कहा जाता है और उनके पुनर्जन्म की पहचान विशेष धार्मिक अनुष्ठानों और संकेतों के माध्यम से की जाती है। यह प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है और इसमें राजनीति का कोई स्थान नहीं रहा है।

चीन की चिंता क्यों?

चीन तिब्बत को अपनी संप्रभुता का हिस्सा मानता है और वह नहीं चाहता कि दलाई लामा या उनके अनुयायी स्वतंत्र रूप से पुनर्जन्म की प्रक्रिया को संचालित करें। चीन यह दावा करता रहा है कि अगला दलाई लामा चीन की निगरानी में चुना जाना चाहिए। चीन के इस रवैये के कारण तिब्बती समुदाय में भारी असंतोष है। वे मानते हैं कि धार्मिक मामलों में राजनीतिक दखल से उनकी परंपराएं खतरे में हैं।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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