देश में सबसे ज्यादा रेप केस किस राज्य में दर्ज होते हैं? NCRB के आंकड़े देख हो जाएंगे हैरान

punjabkesari.in Saturday, Aug 24, 2024 - 03:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हाल ही में कोलकाता में हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को हिला दिया है और 2012 के निर्भया केस की यादें ताजा कर दी हैं। इस बीच, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए गए आंकड़े भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। ये आंकड़े महिलाओं के खिलाफ अपराधों, विशेषकर बलात्कार के मामलों में हालात की गंभीरता को उजागर करते हैं।

देशभर में बलात्कार के मामलों में तेजी
NCRB के ताजे आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर घंटे औसतन तीन महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं होती हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, 2022 में देशभर में कुल 31,516 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। इनमें सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले राजस्थान से सामने आए, जहां 5,399 केस दर्ज हुए। इसके बाद उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का नंबर आता है, जहां क्रमश: 3,690 और 3,029 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए।

कौन करता है बलात्कार?
NCRB के डेटा से यह भी पता चलता है कि बलात्कार के 96 प्रतिशत मामलों में आरोपी महिला को व्यक्तिगत रूप से जानता है। इनमें से 2,324 मामलों में आरोपी परिवार का ही कोई सदस्य था, जबकि 14,582 मामलों में आरोपी लिव-इन पार्टनर या दोस्त था। इसके अतिरिक्त, 13,548 मामलों में आरोपी पारिवारिक दोस्त या पड़ोसी थे। 

केवल 18,000 मामलों में ही ट्रायल पूरा
सजा की दर भी भारत में चिंता का विषय है। 2022 में दर्ज किए गए बलात्कार के मामलों में से केवल 18,000 मामलों में ही ट्रायल पूरा हुआ। इनमें से 5,000 मामलों में दोषी को सजा मिली, जबकि 12,000 से ज्यादा मामलों में आरोपी को रिहा कर दिया गया। इसके मुकाबले, ब्रि टेन में रेप मामलों में सजा की दर 60 प्रतिशत है और कनाडा में यह आंकड़ा 40 प्रतिशत है। भारत में यह दर महज 27 प्रतिशत है, यानी 100 बलात्कार के आरोपियों में से केवल 27 को ही सजा मिलती है।

नंबर राज्य का नाम कुल रेप केस (2022)
1 राजस्थान 5,399
2 उत्तर प्रदेश 3,690
3 मध्य प्रदेश 3,029
4 महाराष्ट्र 2,904
5 हरियाणा 1,787
6 ओडिशा 1,464
7 झारखंड 1,298
8 छत्तीसगढ़ 1,246
9 दिल्ली 1,212
10 असम 1,113


छेड़छाड़ के मामलों में लगातार वृद्धि
वर्तमान आंकड़े यह दर्शाते हैं कि देश में बलात्कार और छेड़छाड़ के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जबकि सजा की दर अपेक्षाकृत बहुत कम है। यह स्थिति कानून और व्यवस्था के कार्यान्वयन में खामियों को उजागर करती है और समाज में इस मुद्दे पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता को बताती है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। 


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Related News