सरकारी नौकरियों में 9 साल में 1,084 नकली जाति प्रमाणपत्रों की शिकायतें दर्ज, 92 को किया गया बर्खास्त
punjabkesari.in Monday, Aug 26, 2024 - 11:18 AM (IST)
नेशनल डेस्क. पिछले 9 सालों में सरकारी नौकरियों के लिए 1,084 नकली जाति प्रमाणपत्रों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से 92 लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया है। ये जानकारी 93 मंत्रालयों और विभागों में से 59 के RTI रिकॉर्ड से मिली है।
इस अवधि में भारतीय रेलवे ने 349 नकली जाति प्रमाणपत्रों की शिकायतें दर्ज कीं, उसके बाद डाक विभाग (259), शिपिंग मंत्रालय (202) और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (138) का नंबर आता है। सूत्रों के अनुसार, कई मामलों की सुनवाई विभिन्न अदालतों में भी चल रही है।
RTI के जवाब के अनुसार, जाति प्रमाणपत्रों की जाँच के लिए डेटा 2010 से इकट्ठा किया जा रहा है। यह कदम 2009 में लोकसभा के बीजेपी सांसद रतिलाल कालिदास वर्मा की अध्यक्षता वाली संसद की समिति की सिफारिश के बाद उठाया गया था। समिति ने सुझाव दिया था कि सभी मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, बैंकों, स्वायत्त निकायों और राज्यों से नकली जाति प्रमाणपत्रों की शिकायतों की जानकारी नियमित रूप से एकत्र की जाए।
पहला निर्देश 28 जनवरी 2010 को जारी किया गया था, जिसमें सभी मंत्रालयों और विभागों से कहा गया था कि वे अपने नियंत्रण में आने वाले सभी संगठनों से जानकारी इकट्ठा करें, जहां नियुक्ति के लिए जाति प्रमाणपत्र का दुरुपयोग हुआ हो। इसके लिए 31 मार्च 2010 तक की समय सीमा दी गई थी। आखिरी बार ऐसे डेटा के लिए निर्देश 16 मई 2019 को जारी किए गए थे।
RTI के जवाब में कहा गया है कि वर्तमान में केंद्रीय स्तर पर कोई डेटा संजोया नहीं गया है। विभाग ने समय-समय पर सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को जाति प्रमाणपत्र की समय पर जाँच सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। जाति प्रमाणपत्र जारी करना और उसकी जाँच करना संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की जिम्मेदारी है।
सरकारी आरक्षण के तहत अनुसूचित जातियों को 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों को 7.5 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत और दिव्यांगों को 3 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।
1993 में जारी एक आदेश के अनुसार, यदि किसी सरकारी कर्मचारी ने नौकरी प्राप्त करने के लिए झूठी जानकारी या प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया है तो उसे सेवा में नहीं रखा जाना चाहिए। जुलाई में UPSC ने पूजा खेड़करे पर आरोप लगाया कि उन्होंने परीक्षा नियमों के तहत अपने नाम, माता-पिता के नाम, तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पते में बदलाव कर धोखाधड़ी की। पूजा खेड़करे ने दिल्ली हाई कोर्ट में UPSC के निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें उनकी सिविल सेवा की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई थी और भविष्य में किसी भी परीक्षा में बैठने पर रोक लगा दी गई थी।