31 मार्च 2025 से पहले रिटायर होने वालों के लिए खुशखबरी, अब मिलेगी पक्की सुरक्षा

punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 09:00 AM (IST)

नेशनल डेस्क। केंद्र सरकार ने रिटायर हो चुके सरकारी कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी दी है। वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि 31 मार्च 2025 को या उससे पहले सेवानिवृत्त होने वाले नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के सब्सक्राइबर जिन्होंने कम से कम 10 साल की सेवा पूरी की है वे यूनिवर्सल पेंशन स्कीम (UPS) योजना के तहत अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं। यह लाभ एनपीएस के मौजूदा फायदों के अलावा होगा जिससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को और अधिक वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।


UPS के तहत मिलेंगे ये खास फायदे

वित्त मंत्रालय के अनुसार यूपीएस चुनने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे:

  • एकमुश्त राशि: उन्हें एक एकमुश्त राशि मिलेगी जो उनकी आखिरी सैलरी और महंगाई भत्ते का दसवां हिस्सा होगी। यह राशि प्रत्येक छह महीने की पूर्ण सेवा के लिए दी जाएगी।
  • मासिक अतिरिक्त राशि: इसके अलावा कर्मचारियों को मासिक अतिरिक्त राशि भी मिलेगी। यह राशि यूपीएस के तहत मिलने वाली पेंशन और महंगाई राहत (DR) से एनपीएस की एन्युटी राशि घटाकर निकाली जाएगी।
  • बकाया राशि पर ब्याज: कर्मचारियों को बकाया राशि भी दी जाएगी, जिस पर पीपीएफ दरों के हिसाब से साधारण ब्याज मिलेगा।

इस लाभ का दावा करने की आखिरी तारीख 30 जून 2025 है। वित्त मंत्रालय ने जनवरी 2025 में ही यूपीएस को अधिसूचित (Notify) किया था। इस योजना के तहत कर्मचारियों को 50% सुनिश्चित पेंशन का वादा किया गया है जो सेवानिवृत्ति से पहले के 12 महीनों की औसत मूल सैलरी पर आधारित होगी। यह खास लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा जिन्होंने 25 साल की न्यूनतम सेवा पूरी की है।


 

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सुप्रीम कोर्ट का रिटायरमेंट उम्र पर बड़ा फैसला

एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है जो सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों के लिए उनकी दिव्यांगता की प्रकृति के आधार पर अलग-अलग सेवानिवृत्ति आयु निर्धारित करना अनुच्छेद 14 के तहत असंवैधानिक भेदभाव है।


लोकोमोटर-विकलांग इलेक्ट्रीशियन को मिली राहत

न्यायालय ने एक मामले में लोकोमोटर-विकलांग इलेक्ट्रीशियन को राहत प्रदान की जिसे 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने के लिए मजबूर किया गया था जबकि इसी तरह के दृष्टिबाधित कर्मचारियों को 60 वर्ष तक सेवा करने की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि दिव्यांग कर्मचारियों के बीच इस तरह का भेदभाव मनमाना है। अदालत ने कहा, सभी तरह की मानक दिव्यांगताओं के लिए एक समान सेवानिवृत्ति लाभ अनिवार्य है।


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रिटायरमेंट उम्र तय करने का अधिकार राज्य के पास

हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी कर्मचारी को अपने रिटायरमेंट की आयु निर्धारित करने का कोई अंतर्निहित अधिकार नहीं है। यह अधिकार राज्य के पास है जिसे अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांत का पालन करते हुए उचित रूप से इसका प्रयोग करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, किसी कर्मचारी को इस बात का कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि वह किस आयु में रिटायर होगा।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने की थी। अपीलकर्ता जो एक लोकोमोटर-विकलांग इलेक्ट्रीशियन है उसे 58 वर्ष की आयु में रिटायर होने के लिए मजबूर किया गया था जबकि इसी तरह के दृष्टिबाधित कर्मचारियों को 60 वर्ष तक सेवा करने की अनुमति दी गई थी।

गौरतलब है कि 29.03.2013 के एक कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से दृष्टिबाधित कर्मचारियों के रिटायरमेंट की आयु बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई थी। बाद में राज्य सरकार द्वारा 04.11.2019 को इस एमओयू को वापस ले लिया गया, जिसमें रिटायरमेंट की आयु 58 वर्ष रखी गई। अपीलकर्ता 18.09.2018 को रिटायर हो गया था। विवाद तब हुआ जब अपीलकर्ता ने मेमोरेंडम वापस लेने की तिथि से परे यानी 04.11.2019 को 60 वर्ष की आयु पूरी होने तक रोजगार जारी रखने का दावा किया।

 


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Content Editor

Rohini Oberoi

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