Gold Rate: सोने-चांदी की कीमतों में तेजी, अचानक बढ़ोतरी के पीछे क्या हैं कारण? क्या जल्द आएगी गिरावट?

punjabkesari.in Sunday, Oct 05, 2025 - 02:26 PM (IST)

नेशनल डेस्कः पिछले सप्ताह बुधवार को सोने की कीमतों ने नया रिकॉर्ड बना दिया। कीमतों में लगभग ₹900 की उछाल दर्ज की गई और यह ₹1,18,444 प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई, जो अब तक का सर्वाधिक मूल्य है। यह उछाल अमेरिका में संभावित सरकारी शटडाउन की आशंकाओं और वैश्विक निवेशकों द्वारा सुरक्षित निवेश की ओर रुझान के कारण देखा गया।

सिर्फ सोना ही नहीं, बल्कि चांदी की कीमतें भी लगातार मजबूत तेजी के दौर से गुजर रही हैं। भारतीय बाजारों में इन दोनों कीमती धातुओं ने कई ऐतिहासिक ऊँचाइयाँ छू ली हैं। बीते चार वर्षों में सोने ने एक परिसंपत्ति के रूप में अभूतपूर्व 152% रिटर्न दिया है, जो इसे लगभग हर अन्य निवेश विकल्प से बेहतर प्रदर्शन करने वाला बनाता है। चांदी ने भी इसी तरह की मजबूती दिखाई है।

क्यों बढ़ रही हैं सोने और चांदी की कीमतें?
भू-राजनीतिक संकटों की बढ़ती आशंकाएं

सोना और चांदी को पारंपरिक रूप से "सुरक्षित निवेश" माना जाता है, जो आर्थिक या राजनीतिक अनिश्चितता के समय निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद आश्रय साबित होते हैं। बीते कुछ वर्षों में रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका-चीन तनाव, मध्य पूर्व में अस्थिरता और हालिया समय में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 2025 में सत्ता में वापसी जैसी घटनाओं ने वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ा दी है। इन परिस्थितियों ने निवेशकों को सोने और चांदी जैसे स्थिर विकल्पों की ओर मोड़ दिया है।

फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर सवाल

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया की सबसे प्रभावशाली मौद्रिक संस्था की स्वतंत्रता को लेकर संदेह पैदा किया है। निवेशक आशंकित हैं कि इससे मुद्रास्फीति और मुद्रा मूल्य में अस्थिरता बढ़ सकती है। परिणामस्वरूप, निवेशक सोने और चांदी की ओर रुख कर रहे हैं।

औद्योगिक मांग में इज़ाफा

सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग होने वाली हरित प्रौद्योगिकियों में सोना और चांदी आवश्यक घटक हैं। चीन और अन्य देशों में हरित ऊर्जा पर जोर बढ़ने के कारण इन धातुओं की औद्योगिक मांग में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साथ ही, आपूर्ति में कमी भी कीमतों को समर्थन दे रही है।

अमेरिकी डॉलर में कमजोरी

जब डॉलर कमजोर होता है, तो सोना और चांदी अन्य मुद्राओं के धारकों के लिए सस्ते हो जाते हैं, जिससे इनकी मांग बढ़ जाती है। हालिया वैश्विक परिस्थितियों के कारण डॉलर में विश्वास कम हुआ है, जिससे निवेशकों का झुकाव कीमती धातुओं की ओर और बढ़ गया है।

केंद्रीय बैंकों की सोने में बढ़ती खरीदारी

दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपनी संपत्ति को विविधीकृत करने के लिए बड़े पैमाने पर सोना खरीद रहे हैं। यह दीर्घकालिक मांग को बल देता है और बाजार में स्थिरता की भावना पैदा करता है। इससे निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है और कीमतों को समर्थन मिलता है।

क्या अभी निवेश करना उचित रहेगा?

ईटी नाउ स्वदेश से बातचीत में एक प्रमुख विश्लेषक ने कहा, "कमोडिटीज़ का एक वास्तविक मूल्य होता है, और लोग उन्हें दीर्घकालिक निवेश के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे लगता है कि लंबी अवधि में इनकी कीमतों में निरंतर वृद्धि होगी।"

उन्होंने यह भी बताया कि अल्पावधि में 2-5% तक का उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है, लेकिन हर गिरावट को एक निवेश अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए।

मेटल्स फोकस के फिलिप न्यूमैन के अनुसार, सोने और चांदी की मजबूती 2026 तक जारी रह सकती है। उन्होंने कहा कि चांदी का $50 प्रति औंस का स्तर अब "अगर" का नहीं, बल्कि "कब" का सवाल है यह इस साल या अगले साल संभव है। वहीं, सोने के लिए उन्होंने $3,900 से $4,000 प्रति औंस का लक्ष्य निर्धारित किया है।

दिवाली से पहले निवेश करें या रुकें?

GJEPC के चेयरमैन किरीट भंसाली ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे दिवाली तक इंतजार करने के बजाय पहले ही निवेश करने पर विचार करें। उनका मानना है कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य और आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है। इसके विपरीत, आने वाले महीनों में कीमतों में और इज़ाफा हो सकता है, जिससे दिवाली के दौरान खरीदारी करना महंगा पड़ सकता है।

 


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Content Editor

Sahil Kumar

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