गरुड़ पुराण के तहत 36 नरक! हर एक पाप का होता है हिसाब, पराई स्त्री से संबंध बनाने वालों को...
punjabkesari.in Saturday, Jul 05, 2025 - 05:34 PM (IST)

नेशनल डेस्क : हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा को मिलने वाले फलों और सजाओं का विस्तार से वर्णन है। इसमें बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में पाप करता है, उसे मृत्यु के बाद नरक में भेजा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, 36 प्रकार के नरक होते हैं, जहां आत्मा को उसके पापों के अनुसार अलग-अलग भयानक यातनाएं दी जाती हैं।
हर नरक किसी विशेष प्रकार के पाप के लिए निर्धारित होता है। आइए जानते हैं, कौन से पाप के लिए आत्मा को किस नरक में भेजा जाता है और वहां कैसी सजा दी जाती है:
गरुड़ पुराण में वर्णित 36 नरक और उनकी सजाएं
तामिस्र नर्क: पत्नी या धन के लिए धोखा देने वाले लोग अंधेरे नर्क में डाल दिए जाते हैं।
अंधतामिस्र नर्क: पराई स्त्री से संबंध बनाने वालों को भूखा-प्यासा तड़पाया जाता है।
रौरव नर्क: निर्दोषों को सताने वालों को जहरीले सांपों से कटवाया जाता है।
महारौरव नर्क: दूसरों को जलाकर खाने वालों को आग में जलाया जाता है।
काकोलूक नर्क: अत्याचार करने वालों को कौए और उल्लू नोचते हैं।
कूटशाल्मली नर्क: झूठ बोलने वालों को कांटेदार पेड़ पर लटकाया जाता है।
अंधकूप नर्क: ज्ञान का घमंड करने वालों को अंधे कुएं में डाल दिया जाता है।
अवीची नर्क: धर्मद्रोही को जलते पर्वत से नीचे गिराया जाता है।
तप्तसूर्मि नर्क: भ्रूण हत्या करने वालों को गर्म सुइयों से चुभोया जाता है।
संहता नर्क: ज़मीन हड़पने वालों को शरीर चीरकर सजा दी जाती है।
वत्सनार नर्क: बलात्कारियों को जलते लोहे से दंडित किया जाता है।
सुघोर्म नर्क: अन्याय करने वालों को खौलते तेल में डाला जाता है।
महापातक नर्क: गुरु को धोखा देने वालों को कीड़े खाते हैं।
क्रीमिक नर्क: जानवरों की हत्या करने वालों को कीट काटते हैं।
लोहशंकु नर्क: निर्दोष की हत्या करने वालों को लोहे की कीलों से बींधा जाता है।
रक्षकभोजन नर्क: ज़हर देकर मारने वालों को ज़हरीला भोजन दिया जाता है।
शल्मली नर्क: झूठी गवाही देने वालों को कांटेदार पेड़ पर चढ़ाया जाता है।
श्र्वभोज्य नर्क: पराया अन्न खाने वालों को कुत्ते नोचते हैं।
सारमेयादन नर्क: दुराचार करने वालों को कुत्ते खा जाते हैं।
आसानपान नर्क: शराब पीने वालों को जहरीला द्रव पिलाया जाता है।
लालभोजन नर्क: ब्राह्मण भोजन का अपमान करने वालों को मांस दिया जाता है।
सौचावट नर्क: शुद्धता का अनादर करने वालों को मल में डुबोया जाता है।
प्रपतन नर्क: परस्त्रीगामी को पहाड़ से गिराया जाता है।
वैतरणी नर्क: दान ना करने वालों को गंदगी भरी नदी पार करवाई जाती है।
पयू नर्क: चोरी करने वालों को मल में गिराया जाता है।
निर्भक्षण नर्क: झूठी निंदा करने वालों को बीच से चीर दिया जाता है।
विदीर्ण नर्क: धर्म विरोधियों के अंग तोड़ दिए जाते हैं।
तप्तलोहमय नर्क: पाखंडी लोग तपते लोहे में जलाए जाते हैं।
संधांश नर्क: निंदा करने वालों को नाखूनों से खरोंचा जाता है।
कालसूत्र नर्क: समय बर्बाद करने वालों को आग पर चलाया जाता है।
सूकरमुख नर्क: स्त्री का अपमान करने वालों को सूअर नोचते हैं।
अंधतोमिस्र नर्क: चुगली करने वालों को अंधेरे में तड़पाया जाता है।
तप्तकुंभ नर्क: पापियों को खौलते लोहे के बर्तन में डाला जाता है।
खरभोजन नर्क: हिंसा से कमाया अन्न खाने वालों को कांटे खाने को दिए जाते हैं।
शूलप्रोत नर्क: अन्याय करने वालों को शूलों से बींधा जाता है।
प्रभंजन नर्क: दूसरों की आजीविका छीनने वालों को तेज आंधियों में उड़ाया जाता है।
पुनर्जन्म और 84 लाख योनियों का सिद्धांत
गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि मनुष्य को सिर्फ नरक की यातना ही नहीं मिलती, बल्कि उसे 84 लाख योनियों में बार-बार जन्म भी लेना पड़ता है - जैसे कि पशु, पक्षी, कीट, जलचर, पेड़-पौधे आदि। ये जन्म भी एक तरह की आत्मा के लिए सजा माने जाते हैं।