Report : हर नौ मिनट में एक पुरुष कर रहा सुसाइड

punjabkesari.in Tuesday, Apr 25, 2017 - 02:42 PM (IST)

चंडीगढ़, (रश्मि) : भारत की छवि आज भी दुनिया के सामने एक पुरुष प्रधान समाज की है। देश में महिलाओं को बराबरी के हक दिलाने की लगातार कोशिश होती आई है लेकिन कई बार इनका इस्तेमाल महिलाओं के हक में कम और पुरुषों के खिलाफ ज्यादा होता है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने कानून कई मामलों में पुरुषों के लिए प्रताडऩा की वजह बन रहे हैं। यह बात हम नहीं बल्कि सेव फैमिली फाऊंडेशन द्वारा कही जा रही है। 

सेव फैमिली फाऊंडेशन के अनुसार पुलिस भी मानती है कि महिला प्रताडऩा की शिकायत के कई मामलों में पुरुष दोषी नहीं होते, फिर भी कानूनी बाध्यता के कारण उन्हें शिकायतें लेनी पड़ रही हैं। महिलाएं अधिकार को बदला लेने का हथियार बना रही हैं। महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के लिए बने कानून का दुरुपयोग भी लगातार बढ़ रहा है। जिसका एक उदाहरण पिछले महीने मोहाली में एक पत्नी द्वारा अपने भाई की मदद से अपने पति की कथित तौर हत्या करने का ही ले लो। मारने के बाद सूटकेस में बंद शव को ठिकाने लगाने की फिराक में थी । यदि कोई महिला किसी पुरुष के खिलाफ गलत शिकायत दर्ज करवा दे तो पुरुष की बात नहीं सुनी जाती है। 

जंतर-मंतर पर पुरुष अधिकारों के लिए देंगे धरना
सेव इंडियन फैमिली के सदस्य रोहित डोगरा ने बताया कि हर कदम सत्याग्रह की ओर ले जाएगा पुरुषों को न्याय के छोर इसी नारे के साथ सेव फैमिली फाऊंडेशन की ओर से 29 अप्रैल को जंतर-मंतर पर पुरुषों के अधिकार के लिए सत्याग्रह किया जाएगा। इस दौरान केंद्र सरकार से पुरुषों के मामले की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय आयोग और पुरुष मंत्रालय के साथ-साथ आईपीसी की धारा 498ए को खत्म करने की मांग की जाएगी। इस कानून का लगातार पुरुषों के खिलाफ दुरुपयोग हो रहा है। 

498ए धारा बनी महिलाओं का हथियार
सिंह ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए का महिलाओं द्वारा सबसे अधिक गलत इस्तेमाल किया जाता है। तीस साल पहले इस धारा में बदलाव किए गए थे ताकि विवाहित महिलाओं को उत्पीडऩ से बचाया जा सके। उस समय देश में दहेज के मामले तेजी से बढ़ रहे थे और उनका नतीजा लड़कियों के कत्ल या खुदकुशी के रूप में दिख रहा था। 

दहेज के खिलाफ कानून के कड़े होने से हालात कुछ सुधरे। हालांकि तीस साल बाद भी दहेज नाम का अभिशाप समाज से दूर नहीं हो पाया है लेकिन इसके साथ ही पुरुषों के खिलाफ भी इसका इस्तेमाल बढ़ा है। शादी में तनाव हो तो पति और पति के परिवार के खिलाफ धारा 498ए के तहत शिकायत दर्ज करा दी जाती है और परिवार के खिलाफ फौरन गैर जमानती वारंट जारी हो जाता है। 

पुरुषों के लिए नहीं कोई कानून
सेव इंडियन फैमिली के सदस्य रोहित के अनुसार हमारे देश में महिलाओं के हक की रक्षा के लिए बहुत से कानून बने हुए हैं लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है। एन.जी.ओ. के सदस्यों की माने तो देश में जहां 50 से अधिक कानून महिलाओं को पक्ष में बने हैं, जहां 10 हजार से अधिक स्वयंसेवी संगठन महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम कर रही हैं, जहां महिलाओं के कल्याण के लिए एक अलग मंत्रालय है, उस देश में पुरुषों के लिए कुछ भी नहीं है। 

खुदकुशी के मामले दोगुना
2015 के आंकड़े बताते हैं कि खुदकुशी करने वाले शादीशुदा पुरुषों की संख्या महिलाओं से दोगुनी है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार हा नौ मिनट में एक पुरुष खुदकुशी कर रहा है। सुसाइड करने वाले पुरुषों में सबसे अधिक विवाहित होते हैं। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2015 का सुसाइड केसिज का डाटा कुछ इस प्रकार है।

पुरुषों के लिए फ्री राष्ट्रीय हैल्पलाइन भी उपलब्ध
सेव इंडियन फैमिली-चंडीगढ़ चैप्टर के मनिंदर सिंह रूपयाल व रोहित डोगरा ने बताया कि सेव इंडियन फैमिली (एस.आई.एफ.) वर्ष 2005 से परिवार और वैवाहिक जीवन में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने उन पुरुषों के लिए एक पूरी तरह से समर्पित फ्री राष्ट्रीय हैल्पलाइन 8882 498 498 शुरू की है जो कि 498-ए, बलात्कार आदि से संबंधित झूठे केसों का सामना कर रहे हैं। 

पुरुष                                                          महिलाएं
विवाहित पुरुष- 64,534               विवाहित महिलाएं-28,344 
अविवाहित पुरुष-18,470              अविवाहित महिलाएं- 9,705
विधुर पुरुष-1,291                      विधवा महिलाएं-1158
अलग रह रहे पुरुष-784             अलग रह रही महिलाएं-306
तलाकशुदा पुरुष-519                     तलाकशुदा महिलाएं- 388
 


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