GST Rate Cut: आम जनता के लिए बड़ा झटका; GST रेट कट के बाद भी पेट्रोल और शराब नहीं होंगे सस्ते, जानें क्या है वजह
punjabkesari.in Monday, Sep 22, 2025 - 05:09 PM (IST)

नेशनल डेस्क: जीएसटी दरों में कटौती के बाद भी पेट्रोल और शराब की कीमतें सस्ती नहीं होंगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये दोनों वस्तुएं अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं और इन पर राज्यों द्वारा अलग-अलग वैट और एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है। 22 सितंबर से भारत के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अब देश में टैक्स की 4 स्लैब की जगह केवल 2 मुख्य स्लैब होंगे: 5% और 18%।
जीएसटी रिफॉर्म से क्या बदला?
सोमवार, 22 सितंबर से भारत में जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 375 से अधिक उत्पादों पर जीएसटी में कटौती की है। इस रिफॉर्म के बाद जीएसटी में अब केवल दो मुख्य स्लैब 5% और 18% होंगे। इसके अलावा, तंबाकू, सिगरेट और लग्जरी कारों जैसे कुछ खास उत्पादों के लिए एक अलग 40% का विशेष स्लैब होगा। इस बदलाव का मतलब यह है कि जो वस्तुएं पहले 12% और 28% के स्लैब में थीं, उनमें से अधिकांश को अब 5% और 18% के स्लैब में लाया गया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था में निवेश को बढ़ावा देना और आम जनता की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाना है।
पेट्रोल, डीजल और शराब क्यों नहीं हुए सस्ते?
पेट्रोल, डीजल और शराब की कीमतों पर इस जीएसटी रिफॉर्म का कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ये तीनों वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर हैं।
पेट्रोल और डीजल: इन पर केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं। राज्य सरकारें इन पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं छोड़ना चाहती हैं, क्योंकि यह उनके राजस्व का एक बड़ा स्रोत है। यही कारण है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं।
शराब: शराब पर भी टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों के पास है। राज्य सरकारें शराब पर वैट और एक्साइज ड्यूटी लगाती हैं, जिससे उन्हें भारी राजस्व मिलता है। इसी वजह से इसे भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, और इसकी कीमतें भी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं।
आगे क्या हो सकता है?
फिलहाल, केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है, लेकिन राज्यों के विरोध के कारण अभी यह संभव नहीं हो पाया है। जब तक ये वस्तुएं जीएसटी के तहत नहीं आ जातीं, तब तक इनकी कीमतों में बदलाव केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स घटाने या बढ़ाने के फैसले पर ही निर्भर करेगा।