ट्रंप का झूठ एक्सपोज़! 'भारत ने हमें लूटा' – पर आंकड़े चिल्ला-चिल्ला कर बोले: नहीं साहब, डेटा ने खोल दी पोल

punjabkesari.in Tuesday, Sep 02, 2025 - 09:11 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत पर व्यापार में 'अन्याय' करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका के साथ 'एकतरफा व्यापार' किया है और अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ (import duty) लगाया है। लेकिन क्या यह पूरी सच्चाई है? आईए जानते है विस्तार से....

ट्रंप का दावा बनाम हकीकत: क्या भारत सबसे बड़ा दोषी है?
डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यह आरोप लगाते रहे हैं कि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार में अनुचित लाभ उठाया है, और अमेरिकी व्यापार घाटे में बड़ा योगदान दिया है। लेकिन वास्तविक आंकड़े कुछ और ही बयां करते हैं:-

देश              अमेरिका का व्यापार घाटा (बिलियन डॉलर में)
चीन                  $270 बिलियन
यूरोपीय संघ        $161 बिलियन
मैक्सिको            $157 बिलियन
वियतनाम           $113.1 बिलियन
ताइवान              $67.4 बिलियन
जापान               $62.6 बिलियन
दक्षिण कोरिया     $60.2 बिलियन
कनाडा              $54.8 बिलियन
थाईलैंड              $41.5 बिलियन
भारत                 $41.5 बिलियन

भारत 'लूटा' नहीं, अमेरिका को लाभ पहुंचा रहा है...
ट्रंप ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत अमेरिका का सबसे बड़ा "लाभ उठाने वाला" देश है। लेकिन सच्चाई यह हैकि अमेरिका का व्यापार घाटा (2024 तक) सबसे अधिक चीन ($270B) से है। फिर आता है यूरोपीय संघ ($161B), मैक्सिको ($157B), वियतनाम ($113B) ... और भारत? सिर्फ $41.5B। यानी भारत अमेरिका के कुल व्यापार घाटे में मात्र 3% का योगदान देता है। अगर यही 'लूट' है, तो फिर ट्रंप चीन और यूरोप के खिलाफ क्यों नहीं इतने आक्रामक होते?

सेवाओं में व्यापार – बराबरी का सौदा
भारत और अमेरिका के बीच सेवाओं (Services) का व्यापार 2023 में लगभग $83.4 बिलियन का रहा।
-अमेरिका ने भारत को सेवाएं बेचीं: $41.8 बिलियन
-भारत ने अमेरिका को सेवाएं बेचीं: $41.6 बिलियन

यानि यहां भी व्यापार बराबरी पर है। फिर ट्रंप का 'एकतरफा' व्यापार का आरोप कैसे सही हो सकता है? तो क्या भारत सबसे बड़ा दोषी है? बिल्कुल नहीं। चीन, यूरोप, मैक्सिको और वियतनाम जैसे देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा भारत से कई गुना अधिक है। फिर भारत पर इतना हंगामा क्यों?

रक्षा व्यापार में भारत-अमेरिका ने लंबी दूरी तय की
साल 2000 में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार लगभग शून्य था। लेकिन 2024 तक यह बढ़कर $22 बिलियन तक पहुंच चुका है। क्या इसे भी 'एकतरफा नुकसान' कहा जाएगा?

भारत ने टैरिफ घटाए, लेकिन 'सस्ती बिक्री' नहीं करेगा
भारत ने कई क्षेत्रों में टैरिफ घटाए हैं - खास तौर पर टेक्नोलॉजी, मेडिकल उपकरण और डिफेंस में। लेकिन भारत के पास भी अपने किसान, छोटे उद्योग और लोकल इकोनॉमी की सुरक्षा करने का हक़ है - जैसा कि अमेरिका खुद करता है। ट्रंप अमेरिका में Buy American और America First  की बात करते हैं, तो भारत अगर अपने स्थानीय हितों को प्राथमिकता देता है, तो उन्हें समस्या क्यों?

रूस से तेल और हथियार खरीदने का मुद्दा
ट्रंप ने ये भी कहा कि भारत रूस से ज्यादा तेल और हथियार खरीदता है। लेकिन यह भारत की रणनीतिक नीति का हिस्सा है, जो दशकों पुराना है। साथ ही, भारत अब अमेरिका से भी हथियार खरीदने लगा है - यह बात ट्रंप भूल गए?

रूस से डिफेंस खरीद - ट्रंप को याद दिला दें इतिहास
ट्रंप शिकायत करते हैं कि भारत रूस से हथियार और तेल खरीदता है।
सवाल ये है - क्या ये अभी शुरू हुआ?
जवाब है नहीं- भारत दशकों से रूस से डिफेंस डील करता आ रहा है। लेकिन क्या ट्रंप के कार्यकाल में भारत ने अमेरिका से कुछ नहीं खरीदा?
2000 में भारत-अमेरिका डिफेंस ट्रेड लगभग शून्य था।
2024 तक ये आंकड़ा $22 बिलियन को पार कर गया है।
यानि जब वो राष्ट्रपति थे, तब भी भारत ने अमेरिकी हथियार खरीदे। अब वो उसी भारत को गुनहगार ठहरा रहे हैं?

अगर इतना नुकसानदेह था रिश्ता, तो ट्रंप ने क्यों नहीं तोड़ा?
ट्रंप 2017-2021 तक राष्ट्रपति थे। अगर भारत के साथ व्यापारिक रिश्ता "एकतरफा आपदा था, तो उन्होंने इसे खत्म क्यों नहीं किया? क्योंकि सच्चाई यह है कि उनकी खुद की सरकार भारत के साथ व्यापार और डिफेंस संबंधों को मज़बूत कर रही थी। ट्रंप भारत आए, 'नमस्ते ट्रंप' हुआ, उन्होंने मोदी की तारीफें कीं, डील साइन की, अब विरोध क्यों?


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Content Writer

Anu Malhotra

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