India US Trade Deal: भारत-अमेरिका ट्रेड डील के बेहद करीब, टैरिफ घटने की उम्मीद, सरकार ने दी अहम जानकारी
punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 05:48 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः भारत और अमेरिका के बीच आपसी टैरिफ (Reciprocal Tariffs) को कम करने को लेकर अंतरिम व्यापार समझौता (Interim Deal) जल्द हो सकता है। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने 15 दिसंबर को कहा कि दोनों देश इस समझौते के बेहद करीब पहुंच चुके हैं। अग्रवाल ने कहा, “हम शुरुआती फ्रेमवर्क डील को अंतिम रूप देने के बहुत करीब हैं, लेकिन अभी कोई समयसीमा तय नहीं करना चाहते।”
उन्होंने बताया कि अब तक अमेरिका के साथ छह दौर की बातचीत हो चुकी है, जिनमें द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) और अंतरिम डील—दोनों पर चर्चा हुई है। अग्रवाल के मुताबिक, यह उम्मीद की जा रही है कि भारत और अमेरिका अधिकांश भारतीय निर्यात पर लगने वाले ऊंचे टैरिफ को कम करने के लिए एक अंतरिम समझौते पर पहुंच जाएंगे। इसी सिलसिले में इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी उप व्यापार प्रतिनिधि (Deputy USTR) की भारत यात्रा हुई थी, जिसमें व्यापार संबंधों की समीक्षा और BTA पर प्रगति का आकलन किया गया।
9 से 11 दिसंबर के बीच अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर
अमेरिकी उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल 9–11 दिसंबर के बीच नई दिल्ली आया था। इस दौरान फ्रेमवर्क डील और व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत हुई।
अग्रवाल ने कहा, “हम अमेरिका के साथ सकारात्मक रूप से जुड़े हुए हैं और कोशिश है कि इस डील को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।” इससे पहले, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने कहा था कि प्रस्तावित व्यापार समझौते पर भारत की ओर से अमेरिका को अब तक के “सबसे बेहतरीन ऑफर” मिले हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मक्का, सोयाबीन, गेहूं और कपास जैसी कुछ कृषि फसलों और मांस उत्पादों को लेकर विरोध बना हुआ है।
‘मिशन 500’ का लक्ष्य
भारत–अमेरिका BTA की बातचीत फरवरी में उस समय शुरू हुई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई थी। दोनों देशों ने तब ‘मिशन 500’ के तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा था।
इसके तहत 2025 की शरद ऋतु तक BTA के पहले चरण को पूरा करने की योजना थी, हालांकि यह समयसीमा चूक गई। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने हाल ही में संकेत दिया था कि मार्च 2026 तक अंतरिम समझौता हो सकता है।
भारतीय निर्यात पर ऊंचे टैरिफ का दबाव
यह समझौता भारत के लिए अहम है, क्योंकि करीब 48.2 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर फिलहाल ऊंचे अमेरिकी टैरिफ लागू हैं। अमेरिका ने व्यापार घाटे (2024-25 में करीब 46 अरब डॉलर) का हवाला देते हुए पहले 25% शुल्क लगाया था, जिसके बाद रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर अतिरिक्त 25% पेनल्टी ड्यूटी भी लगाई गई।
अमेरिका 2024-25 में लगातार चौथे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 131.84 अरब डॉलर का रहा, जिसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर था।
चावल पर ‘डंपिंग’ के आरोप खारिज
अमेरिकी अधिकारियों द्वारा चावल की डंपिंग के आरोपों पर अग्रवाल ने कहा कि भारत के 80% से ज्यादा चावल निर्यात बासमती चावल हैं, जिनकी कीमत सामान्य चावल से अधिक होती है। उन्होंने कहा, “इसलिए डंपिंग का कोई मामला नहीं बनता। चावल पर पहले से ही 50% टैरिफ है और फिलहाल अतिरिक्त शुल्क की संभावना नहीं दिखती।”
