Banks Varification Rules: देश के सभी बैंकों का बड़ा फैसला, बदला वेरिफिकेशन का नियम
punjabkesari.in Friday, Dec 12, 2025 - 02:41 PM (IST)
नेशनल डेस्क: बैंकों के डिजिटल युग में अब एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। बड़ी बैंकों ने ग्राहकों के ऑनलाइन अकाउंट खोलने की प्रक्रियाओं में फिजिकल वेरिफिकेशन और ब्रांच या घर पर विज़िट को अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य है पहचान की चोरी (identity theft) और 'म्यूल अकाउंट' के जरिए होने वाली धोखाधड़ी को रोकना।
इस कदम को बैंकिंग विशेषज्ञों ने डिजिटल सेवाओं से पीछे हटने का संकेत माना है। पिछले कई सालों में बैंकिंग सेक्टर ने लगभग हर सेवा को डिजिटल कर दिया था, जिससे ग्राहक एक क्लिक में अकाउंट खोल सकते थे। लेकिन म्यूल अकाउंट और फर्जी लेनदेन की बढ़ती घटनाओं ने बैंकिंग संस्थाओं को फिर से फिजिकल चेकिंग की जरूरत महसूस कराई।
कौन-कौन से बैंक बदलाव कर रहे हैं?
ICICI Bank, HDFC Bank, State Bank of India, Bank of India और Bank of Baroda जैसी बड़ी बैंकें अब अपने एंड-टू-एंड डिजिटल ऑनबोर्डिंग सिस्टम को रोक रही हैं। इसके बजाय, ग्राहक को नज़दीकी शाखा जाकर दस्तावेज़ जमा करने या बैंक अधिकारी की विज़िट के जरिए अकाउंट खोलने की प्रक्रिया अपनानी होगी।
बैंकरों के अनुसार, यह कदम RBI के कड़े KYC (Know Your Customer) नियमों के पालन और म्यूल अकाउंट को समय पर फ्रीज करने के निर्देशों के मद्देनज़र भी उठाया गया है। ICICI Bank ने अपनी इंस्टा-ओपनिंग सेवा को पूरी तरह बंद कर दिया है और केवल सैलरी अकाउंट डिजिटल तरीके से खुलेगा। बाकी अकाउंट शाखा अधिकारी की मदद से डिजिटल रूप में खोले जाएंगे।
क्या हुआ पिछली बार?
पिछले साल बड़ी बैंकों में अचानक म्यूल अकाउंट का हमला हुआ, जिससे भारी मात्रा में फर्जी फंड ट्रांसफर किए गए। यह घटना बैंकिंग संस्थाओं के लिए चेतावनी का संकेत बन गई। इस वजह से उन्होंने अपने ऑनलाइन अकाउंट खोलने की सेवाओं को कड़ा कर दिया।
HDFC बैंक की प्रतिक्रिया
HDFC बैंक ने ET को बताया कि वह अभी भी डिजिटल ऑनबोर्डिंग जारी रखे हुए है, लेकिन सुरक्षा और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए इसे अधिक मजबूत और इंट्यूटिव बना रहे हैं। बैंक का कहना है कि अब एक इंटीग्रेटेड असिस्टेड डिजिटल मॉडल अपनाया गया है, जो तकनीक की सुविधा के साथ व्यक्तिगत मार्गदर्शन भी प्रदान करता है, ताकि ग्राहक सही उत्पाद का चयन कर सकें।
