कनाडा अपने दम पर भारत का मुकाबला नहीं कर सकता, विवाद ने ट्रूडो की मुश्किल और बढ़ाई
punjabkesari.in Saturday, Sep 30, 2023 - 02:58 PM (IST)

इंटरनेशनल डैस्क : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा के नागरिक और अलगाववादी सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों का हाथ होने का आरोप लगाकर अपनी मुश्किलें और अधिक बढ़ा ली हैं। ट्रूडो को देश में कम समर्थन मिला है। कुछ लोगों को कहना है कि प्रधानमंत्री ने अपनी घरेलू राजनीतिक दिक्कतों से ध्यान हटाने के लिए आधी-अधूरी खुफिया जानकारी बताई है। ट्रूडो के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और इंटेलीजेंस चीफ रिचर्ड फाडेन का कहना है, वैसे उन्हें ऐसा करने से कोई फायदा नहीं है। वे कहते हैं, कनाडा को भारत से कूटनीतिक खींचतान में जीतने के लिए अपने सहयोगी देशों की जरूरत है। उनके बिना कनाडा अपने दम पर भारत का मुकाबला नहीं कर सकता है।
अगले दो साल में चौथी बार चुने जाने के लिए तैयारी कर रहे प्रधानमंत्री के लिए भारत से विवाद कठिन समय में खड़ा हुआ है। 2015 के बाद ट्रूडो तीन चुनाव जीत चुके हैं। हर बार उनका बहुमत कम हो रहा है। 2021 में उनकी पार्टी संसद में अल्पमत में थी। सोशलिस्ट न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी से असहज समझौते के कारण ट्रूडो बहुमत कायम रख सके हैं। कई लोगों को संदेह है कि वे 2025 तक अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे। सत्ता में आठ साल रहने के बाद ट्रूडो की रेटिंग 27% के एतिहासिक निम्नतम स्तर पर है। 2021 में उनकी रेटिंग लगभग 40% थी। उनके कंजरवेटिव प्रतिद्वंद्वी पियरे पोइलिवरे की लोकप्रियता 37% पर है। मिडिल क्लास के बीच ट्रूडो की लोकप्रियता कम हुई है।
जी20 ग्रुप में कुछ देशों की धारणा है कि कनाडा गिरावट पर है। वैसे, ट्रूडो के शासन में कनाडा की जीडीपी 13% बढ़ी है। यह अमेरिका से थोड़ी कम और यूरोप से बहुत अधिक है। लेकिन, रहन-सहन और हाउसिंग का खर्च अधिक होने से समस्या है। सालाना महगाई जून 2022 के 8% के शिखर से नीचे आई है। अभी हाल उसमें फिर उछाल आया है। कनाडा उन देशों में शामिल है जहां मकान खरीदना बहुत कठिन है। टूडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद आय की तुलना में मकानों के मूल्य 45% बढ़े हैं। हाउसिंग संकट पर ट्रूडो की कैबिनेट को जानकारी देने वाले अर्थशास्त्री माइक मोफ्ट कहते हैं, मकानों की कीमतों और आय के बीच संबंध के मामले में कनाडा की स्थिति अमीर देशों के ग्रुप ओइसीडी में सबसे बदतर है। कनाडा की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही हैं। इस्पॉस के एक सर्वे में केवल 48% लोगों ने कहा कि वे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से संतुष्ट हैं।
कनाडा के रिश्ते सहयोगियों सहित कई देशों से बिगड़े
विदेश नीति के संबंध में ट्रूडो की मुश्किलें भारत तक सीमित नहीं हैं। नाटो गठबंधन के देश कनाडा के मामूली डिफेन्स खर्च से असंतुष्ट हैं। यह जीडीपी का केवल 1.2% है। 2018 में चीन में दो कनाडियन नागरिकों की गिरफ्तारी के बाद चीन से कनाडा के संबंध बिगड़े हैं। ट्रूडो ने कनाडा के चुनावों में चीनी हस्तक्षेप की जांच कराने पर दूसरे देशों से सलाह मांगी है। 2018 में उपप्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलंड द्वारा मानवाधिकारों पर सऊदी अरब की आलोचना के बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए थे। अब इनमें सुधार की शुरुआत हुई है।