भारत ने बगलिहार से रोका चिनाब का बहाव, पाकिस्तान की खेती पर मंडराया संकट
punjabkesari.in Sunday, May 04, 2025 - 02:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। भारत ने 65 साल पुराने सिंधु जल समझौते को स्थगित (सस्पेंड) कर दिया है। यह समझौता 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जिसके तहत नदियों के पानी का बंटवारा तय किया गया था। भारत ने अब इस समझौते को रोककर यह साफ संदेश दे दिया है कि अब हर आतंकी हमले का जवाब सिर्फ शब्दों से नहीं, कड़े फैसलों से दिया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों के अनुसार, भारत ने जम्मू के रामबन जिले में स्थित बगलिहार बांध से पाकिस्तान की ओर जाने वाला चिनाब नदी का पानी रोक दिया है। इसका सीधा असर पाकिस्तान के सिंचाई और बिजली उत्पादन पर पड़ेगा। यही नहीं, जानकारी के मुताबिक किशनगंगा डैम से झेलम नदी का पानी भी रोकने की योजना पर काम चल रहा है।
पाकिस्तान के लिए क्यों जरूरी हैं ये नदियां?
सिंधु जल समझौते के तहत पश्चिमी नदियों - सिंधु, झेलम और चिनाब - का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया था। पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि भूमि इन्हीं नदियों पर निर्भर है। सिंधु नदी प्रणाली से उसे कुल मिलाकर 93% पानी मिलता है, जिसका वह उपयोग खेती, पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए करता है। ऐसे में भारत द्वारा पानी रोकने का फैसला पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका है।
भारत का रुख पहले कैसा रहा है?
भारत ने इससे पहले भी 1965, 1971 और 1999 की लड़ाइयों के बावजूद कभी सिंधु जल संधि को सस्पेंड नहीं किया था। यहां तक कि पुलवामा हमले के बाद भी संधि को जारी रखा गया था। लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब आतंकी हमलों पर नरमी नहीं बरती जाएगी और रणनीतिक संसाधनों का इस्तेमाल भी हथियार के रूप में किया जा सकता है।
किशनगंगा डैम भी निगरानी में
भारत ने उत्तरी कश्मीर में स्थित किशनगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट से भी पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति बंद करने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक इन दोनों बांधों (बगलिहार और किशनगंगा) के जरिए पानी के फ्लो को नियंत्रित किया जा सकता है, यानी जब चाहे भारत पानी छोड़ सकता है और जब चाहे रोक सकता है।
पाकिस्तान में मचा हड़कंप, भड़के नेता
भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। पाकिस्तानी नेताओं ने इसे 'जंग का ऐलान' बताया है। यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने तो कहा, “या तो सिंधु नदी में हमारा पानी बहेगा या उनका खून।” भारत ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों को अब खामियाजा भुगतना होगा।
कृषि संकट की कगार पर पाकिस्तान
कराची की एक रिसर्च फर्म ‘पाकिस्तान एग्रीकल्चर रिसर्च’ से जुड़े विशेषज्ञ घशारिब शौकत का कहना है कि भारत का यह कदम अनिश्चितता का माहौल पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास इस वक्त कोई दूसरा विकल्प नहीं है। अगर भारत ने पानी रोकने की रणनीति जारी रखी तो पाकिस्तान की फसलें, शहरों की जल आपूर्ति, बिजली और लाखों लोगों की आजीविका संकट में आ सकती है।