अनुशासन के लिए सेना में समलैंगिकता और व्याभिचार को अपराध बनाए रखने की मांग
punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2019 - 05:45 PM (IST)

नई दिल्लीः सेना अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए समलैंगिक संबंध और व्यभिचार को दंडनीय अपराध बनाए रखना चाहती है और इसके लिए रक्षा मंत्रालय के समक्ष अपना पक्ष रखा है । सेना ने यह मांग उच्चतम न्यायालय द्वारा दोनों मामलों को अपराध की श्रेणी से हटाने के फैसले के करीब एक साल बाद की है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि सैन्य कानून में समलैंगिक संबंध और व्यभिचार में पाए जाने वाले जवानों को सजा देने का प्रावधान है लेकिन अब उसी कानून के अलग प्रावधानों के तहत दंडित किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल समलैंगिकता और व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था।
सूत्रों ने बताया कि सेना रक्षा मंत्रालय से इन मामलों को अपराध की श्रेणी से हटाये जाने को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दोनों संबंधों को दंडनीय बनाये रखने से यह निवारक की तरह काम करेगा, अन्यथा यह गंभीर अनुशासन की समस्या बन जाएगी और इससे कमान एवं नियंत्रण की समस्या आएगी। पत्रकारों से बुधवार को संवाद करते हुए भारतीय सेना में ऐडजुटैन्ट जनरल, जनरल अश्विनी कुमार ने कहा कि कुछ मामले कानूनी रूप से ही हो सकते हैं लेकिन नैतिक रूप से गलत होते हैं। भारतीय सेना में ऐडजुटैन्ट जनरल की शाखा सैनिकों के कल्याण के लिए जिम्मेदार है और सभी स्तरों पर सैनिकों के खिलाफ शिकायत का निपटारा करती है।
गुरुवार को सेवानिवृत्त हुए कुमार ने कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय की ओर से कही गई कोई भी बात देश का कानून है और उसे मानना बाध्यकारी है।'' जब उनसे पूछा गया कि क्या सेना फैसले की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी, कुमार ने कहा, ‘‘आपको कैसे पता कि हमने पहले ही यह नहीं किया?'' उन्होंने कहा, सेना समलैंगिकता और व्यभिचार के मामलों से सेना के संबंधित कानून के आधार पर निपटारा करती है और इसमें अनुचित कार्य करने वाले अधिकारी को सजा देने का प्रावधान है।
कुमार ने कहा, ‘‘ जो अधिकारी समलैंगिक संबंध बनाने के आरोपी होंगे अब उनके खिलाफ सेना कानून की धारा-46 के तहत नहीं बल्कि धारा-45 (उम्मीद के विपरीत व्यवहार कर पद का दुरुपयोग करना एवं खराब आचरन) के तहत मामला चलेगा। धारा-46 में क्रूर, अश्लील एवं अप्राकृतिक कृत्य करने पर सजा का प्रावधान है।
कुमार ने कहा, ‘‘नैतिक अधमता और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।'' सेना में समलैंगिता और व्यभिचार अब भी वर्जना माना जाता है। सेना व्यभिचार के मामले में अधिकारी पर मुकदमा चलाती है। इससे पहले सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि सेना में समलैंगिक संबंध और व्यभिचार की इजाजत नहीं दी जाएगी।