देवानंद ने फिल्मी जगत को दिखाई थी सियासत की राह

punjabkesari.in Wednesday, Apr 17, 2019 - 04:58 AM (IST)

इलेक्शन डेस्क(सूरज ठाकुर): एक समय था जब 60 के दशक में बॉलीवुड की हस्तियां अपने आप को सक्रिय राजनीति से दूर रखती थीं और अपनी ही दुनिया में गुम रहती थीं जबकि आज के दौर में बॉलीवुड के कई एक्टर सियासी अखाड़े में सक्रिय राजनीतिक कर रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि 1979 में बॉलीवुड को सियासी राह सबसे पहले देवानंद ने दिखाई थी? 

राजनीतिज्ञों के तानाशाह रवैये और फिल्मों में जबरिया सैंसरशिप से खिन्न होकर देवानंद ने अपनी ही पार्टी का गठन कर लिया था। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक रिलीज पर बैन लगा तो यह जिक्र करना लाजिमी-सा महसूस हुआ क्योंकि सियासी अखाड़े में उतरे कलाकारों को प्रचार के लिए किसी तरह की बायोपिक की जरूरत नहीं पड़ती। उनकी राजनीतिक मंच पर मौजूदगी ही काफी होती है जबकि राजनीतिक पाॢटयों को आज भी चुनाव में बॉलीवुड का सहारा लेना पड़ता है। 

आपातकाल के दौरान खफा थे कलाकार
1975 में आपातकाल के दौरान कांग्रेस सरकारी योजनाओं का प्रचार किशोर कुमार के गानों के जरिए करना चाहती थी मगर किशोर ने इंकार कर दिया। नतीजतन किशोर के गाने ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर बैन कर दिए। यही नहीं जबरिया सैंसरशिप और सरकार के हुक्म पर नाचने-गाने के रवैये से खिन्न होकर फिल्मी जगत ने सरकार को सबक सिखाने की ठान ली।

1979 में बनाई थी नैशनल पार्टी
14 सितम्बर, 1979 को मुम्बई के ताज होटल में ‘नैशनल पार्टी’ के गठन की घोषणा की गई थी। देवानंद को इस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था। पार्टी का घोषणा पत्र भी जारी किया गया जिसमें कहा गया था कि इंदिरा गांधी की तानाशाही से त्रस्त लोगों ने जनता पार्टी को चुना लेकिन निराशा ही हाथ लगी। अब देश को एक स्थायी सरकार दे सकने वाली पार्टी की जरूरत है। नैशनल पार्टी के गठन का मकसद देश के लोगों को थर्ड अल्टर्नेटिव देने का है। निर्माता-निदेशक वी. शांताराम, जी.पी. सिप्पी, राम बोहरा, आई.एस. जौहर, रामानंद सागर, आत्माराम और साथ में शत्रुघ्न सिन्हा, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी व संजीव कुमार जैसे जाने-माने लोग पार्टी के साथ जुड़े थे। 

कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए जनता पार्टी का दिया था साथ 
आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस से नाराज फिल्मी अदाकारों ने राम जेठमलानी के कहने पर जनता पार्टी का साथ दिया था। कई फिल्मी हस्तियों ने जमकर चुनाव प्रचार किया। जनता पार्टी की सरकार बनने पर फिल्म जगत को बहुत उम्मीद थी लेकिन सरकार जब पतन की ओर थी तो राजनीतिक दल के गठन को लेकर फिल्मी जगत में कवायद शुरू हो गई। 

चुनाव लड़े बिना ही ऐसे खत्म हुई पार्टी
मुम्बई के शिवाजी पार्क में एक जनसभा में उमड़ी भीड़ ने कांगे्रस और जनता सरकार की परेशानी बढ़ा दी। नैशनल पार्टी ने लगातार फिल्मी और गैर-फिल्मी हस्तियों को चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति तैयार कर ली लेकिन जनता सरकार और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जी.पी. सिप्पी और रामानंद सागर जैसे असरदार फिल्म वालों को नसीहत दी कि चुनाव के बाद होने वाली मुश्किल से फिल्म उद्योग को बचाना है तो पार्टी राजनीतिक गतिविधियां बंद कर दे। इसके बाद सक्रिय कलाकार नैशनल पार्टी से किनारा करने लगे। 


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Pardeep

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