टीचर मनीषा की मौत में फॉरेंसिक रिपोर्ट ने पलट दिया पूरा केस: पोस्टमॉर्टम में किए चौंकाने वाले खुलासे...
punjabkesari.in Tuesday, Aug 19, 2025 - 11:00 AM (IST)

नेशनल डेस्क: हरियाणा के भिवानी ज़िले में एक निजी स्कूल की शिक्षिका मनीषा की मौत ने पूरे राज्य में जनआक्रोश की लहर फैला दी है। 13 अगस्त को उसका शव खेत में संदिग्ध हालत में मिला था, और शुरुआती दावों में कहा गया कि उसके साथ बलात्कार हुआ और गला रेतकर उसकी हत्या की गई। यही वजह थी कि यह मामला तेज़ी से गरमाया और प्रशासन पर सवालों की बौछार शुरू हो गई।
प्रशासन की पहली प्रतिक्रिया
घटना के बाद प्रदेश में लोगों का गुस्सा भड़क उठा। सड़क जाम, विरोध प्रदर्शन और न्याय की मांग के चलते हरियाणा सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए: भिवानी के SP का तत्काल ट्रांसफर कर दिया। 5 पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया। न्यायिक जांच और फॉरेंसिक टीम की निगरानी में केस को तेजी से आगे बढ़ाया गया।
अब तक की जांच में क्या आया सामने?
वहीं पोस्टमॉर्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट ने इस मामले को पूरी तरह पलट कर रख दिया है: शरीर में किसी प्रकार के यौन शोषण के सबूत नहीं मिले। चेहरे व गर्दन पर जो चोटें थीं, वो जंगली जानवरों के हमले के कारण थीं, न कि इंसानी हमले से। विसरा रिपोर्ट में ज़हर (कीटनाशक) की पुष्टि हुई है। मनीषा का कथित सुसाइड नोट मिला, जिसकी हैंडराइटिंग भी मेल खा रही है। इन तथ्यों ने यह संकेत दिया कि यह संभवतः आत्महत्या का मामला हो सकता है, न कि हत्या जैसा पहले दावा किया गया था।
परिजन और जनता क्या कह रहे हैं?
हालांकि, इन मेडिकल तथ्यों के बावजूद, मनीषा के परिजन और कई सामाजिक संगठन अब भी इस केस को हत्या मान रहे हैं। उनका आरोप है कि: शुरुआती दो दिनों तक पुलिस ने मनीषा की गुमशुदगी को गंभीरता से नहीं लिया। अगर समय पर कार्रवाई होती तो मनीषा की जान बच सकती थी। वे CBI जांच की मांग कर रहे हैं।
क्यों बनी आत्महत्या की थ्योरी?
यह मामला 11 अगस्त 2025 को उस वक्त सामने आया जब 23 वर्षीय मनीषा, जो एक प्ले स्कूल में टीचर थी, अचानक लापता हो गई। मनीषा अपने स्कूल के पास स्थित एक नर्सिंग कॉलेज गई थी, जहां वह किसी काम से गई थी, लेकिन इसके बाद वह घर लौटकर नहीं आई। परिजनों ने बताया कि जब उन्होंने मनीषा के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए लोहारू पुलिस स्टेशन का रुख किया, तो पुलिस ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस ने कथित तौर पर कहा - 'लड़की कहीं भाग गई होगी, दो दिन में आ जाएगी।' यह ढीली प्रतिक्रिया परिजनों के लिए न केवल निराशाजनक थी, बल्कि यही देरी इस केस को और भी उलझा गई।
समय पर नहीं हुई पुलिस कार्रवाई?
परिवार का आरोप है कि यदि पहले दिन ही मनीषा की तलाश में तेजी दिखाई जाती, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी। हालांकि बाद में पुलिस टीम कॉलेज गई और कुछ युवकों से पूछताछ भी की, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिला। 13 अगस्त को मनीषा का शव गांव के ही एक खेत में बुरी हालत में मिला, जिसके बाद मामला उबाल पर आ गया।