देश का भविष्य खतरे में...11 साल की कम उम्र में ही बच्चों को लग रही है नशे की लत, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
punjabkesari.in Wednesday, Dec 10, 2025 - 01:33 PM (IST)
नेशनल डेस्क: देश में नशे और ड्रग्स का खतरा बढ़ता जा रहा है, और सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब कम उम्र के बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। हाल ही में किए गए एक बड़े स्कूल सर्वे में यह सामने आया है कि भारतीय बच्चों की औसत उम्र महज 12.9 साल है, जबकि कुछ तो सिर्फ 11 साल की उम्र में ही नशा करना शुरू कर देते हैं।
कौन से शहर शामिल हैं सर्वे में
इस स्टडी में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, हैदराबाद, लखनऊ, इंफाल, जम्मू, डिब्रूगढ़ और रांची जैसे 10 बड़े शहरों के करीब 5,920 छात्र शामिल थे। उनकी उम्र लगभग 14.7 साल थी।
ड्रग्स का इस्तेमाल कितने बच्चों ने किया
सर्वे में पता चला कि हर सात में से एक छात्र ने कभी न कभी नशीले पदार्थों का सेवन किया था। आंकड़े इस प्रकार हैं:
➤ 15.1% छात्रों ने अपने जीवन में कभी ड्रग्स लिया
➤ 10.3% ने पिछले साल नशा किया
➤ 7.2% ने पिछले महीने ही ड्रग्स का सेवन किया
सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ तंबाकू (4%) और शराब (3.8%) के बाद ओपिओइड (2.8%), भांग (2%) और इनहेलेंट (1.9%) थे। ज्यादातर ओपिओइड दवाइयों के रूप में बिना प्रिस्क्रिप्शन लिए इस्तेमाल किए गए।
लड़के और लड़कियों में अंतर
कक्षा 11-12 के छात्र कक्षा 8 के बच्चों की तुलना में ड्रग्स लेने की अधिक संभावना रखते हैं। सर्वे में पाया गया कि लड़कों में तंबाकू और भांग का ज्यादा इस्तेमाल हुआ, जबकि लड़कियों में इनहेलेंट और फार्मास्यूटिकल ओपिओइड का सेवन अधिक पाया गया।
अधिकारियों की चेतावनी
AIIMS के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की प्रमुख डॉक्टर अंजू धवन ने बताया कि बच्चों में नशे की समस्या उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है। पिछले साल नशा करने वाले छात्रों में से 31% को मानसिक परेशानी थी, जबकि जो नशा नहीं करते थे उनमें यह दर 25% थी। इसमें व्यवहार संबंधी समस्याएं, हाइपरएक्टिविटी और भावनात्मक परेशानियां शामिल हैं।
छिपाकर नशा करने की प्रवृत्ति
सर्वे में यह भी पता चला कि आधे से ज्यादा छात्र नशे के बारे में सवाल पूछे जाने पर सच बताने से कतराते हैं। इसका मतलब है कि असली संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय
डॉक्टर अंजू धवन और अन्य रिसर्चर बच्चों में ड्रग्स के इस्तेमाल को गंभीर चुनौती मान रहे हैं। उनका कहना है कि माता-पिता, स्कूल और समाज को मिलकर बच्चों की निगरानी करनी होगी और उन्हें सही समय पर शिक्षा और मार्गदर्शन देना होगा, ताकि कम उम्र में नशे की तरफ़ झुकाव कम किया जा सके।
