कश्मीर में लोगों की परेशानियों का हल बनी सीआरपीएफ की ‘मददगार हेल्पलाइन’

punjabkesari.in Tuesday, Dec 04, 2018 - 08:09 PM (IST)

श्रीनगर  : कश्मीर घाटी में पिछले कई सालों से आतंकवाद का मुकाबला करने के अलावा अपने सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत आम जनता की मदद करने वाली केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) द्वारा ढेढ साल पहले शुरु ‘मददगार हेल्पलाइन’ अब लोगों की परेशानियों का हल बन गई है। आमतौर पर देखा जाए तो किसी भी परेशानी के हल के लिए लोग प्रशासन या उनके द्वारा चुने गए राजनीतिक प्रतिनिधियों के पास जाते हैं लेकिन इसके बजाय अब लोगों ने सी.आर.पी.एफ. की ‘मददगार हेल्पलाइन’ का फायदा उठा कर परेशानियों का हल तलाश रहे हैं। ताजा मामला है कश्मीर की युवा लडक़ी सकीना की मदद का है।  सी.आर.पी.एफ . के जवानों ने न केवल अपनी तनख्वाह से उसके लिए सिलाई मशीन खरीदी बल्कि उसकी छोटी बहन को शिक्षित भी कर रहे हैं।

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सकीना के पिता की आखों की रोशनी चली गई। ऐसे में परिवार चलाने की जिम्मेदारी उसपर आ गई। सकीना ने इस वजह से नौंवी के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी और अपने परिवार का खर्चा चलाने के लिए छोटे मोटे काम करने लगी। उसके घर में छोटी बहन भी है। जैसे-तैसे सकीना काम तो चला ले रही थी लेकिन उसे बहुत दिक्कत आ रही थी। ऐसे में उसने सी.आर.पी.एफ . की मददगार हेल्पलाइन को फोन किया। बस फिर क्या था सीआरपीएफ  जवान हरकत में आ गए। बीस सीआरपीएफ के जवानों ने अपनी तनख्वाह से सकीना के लिए एक सिलाई मशीन खरीदी। यही नहीं उसकी छोटी बहन के पढ़ाई की जिम्मेदारी भी फोर्स उठा रही है। पिछले डेढ़ साल से सीआरपीएफ  की मददगार हेल्पलाइन घाटी में काम कर रही है और अब तक साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा काल मदद के लिए आ चुकी है। ये काल हर तरीके की होती है और काल आते ही जवान कश्मीर के नागरिकों की हर संभव सहायता की कोशिश करते हैं।

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इससे पहले उतर कश्मीर के हंदवाड़ा निवासी दिहाड़ी मजदूर बिलाल (परिवर्तित नाम) को डॉक्टर ने उनकी दोनों किडनी फेल होने की जानकारी दी। बिलाल के पास पास पैसे नहीं थे और पांच बच्चों समेत पूरे परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी के कारण वह नौकरी भी नहीं छोड़ सकते थे। इसी बीच उन्होंने सीआरपीएफ  की एक गाड़ी पर हेल्पलाइन ‘मददगार’ का विज्ञापन देखा। बिलाल ने इस हेल्पलाइन पर संपर्क किया। हंदवाड़ा की सीआरपीएफ  यूनिट की तरफ से बिलाल की स्थिति के सत्यापित होने के बाद अब उन्हें हर महीने इलाज के लिए 10 हजार रुपये की मदद दी जा रही है। बिलाल उन हजारों कश्मीरियों में से एक हैं जिन्हें सीआरपीएफ  की तरफ से शुरू की गई हेल्पलाइन ‘मददगार’ से मदद मिली है। 


बता दें कि 16 जून 2017 को सीआरपीएफ  की तरफ  से मददगार हेल्पलाइन की शुरुआत की गई। आज आलम यह है कि इसके जरिए यहां के लोगों को हर तरह की मदद मुहैया कराई जा रही है। फिर चाहें पानी की समस्या हो या फिर बिजली की। घरेलू हिंसा की समस्या हो या फिर मेडिकल संबंधी कोई दिक्कत। दहेज प्रताडऩा हो या किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा, ‘मददगार’ के जरिए हर तरह के मामलों में मदद की जा रही है।   


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Monika Jamwal

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