'आगामी विधानसभा चुनावों में हिमाचल, पंजाब और हरियाणा में होगी कांग्रेस की जीत'

punjabkesari.in Monday, Feb 22, 2021 - 12:42 PM (IST)

हिमाचल प्रदेश  के कांग्रेस प्रभारी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चुनाव राजीव शुक्ला ने पंजाब केसरी/ जगवाणी से खास बातचीत में कांग्रेस कृषि कानून के भविष्य, कृषि कानून व महंगाई समेत तमाम मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी और उन्होंने यह संकेत दिया कि आने वाले कछ दिनों में कांग्रेस का नया अध्यक्ष मिल जाएगा। कांग्रेस फिर से मजबूती के साथ अपना पुराना परचम लहराएगी। पढ़िए संवाददाता अविरल सिंह की राजीव शुक्ला से बातचीत के प्रमुख अंश---


प्रश्न- कृषि कानूनों का विरोध जिस तरीके से कांग्रेस को करना चाहिए वह नहीं कर रही है?
उत्तर- कांग्रेस इस कानून का पूरी तरह से विरोध कर रही है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी हर रोज इस मामले पर बयान दे रहे हैं, जगह- जगह जा रहे हैं। इतना ही नहीं प्रियंका गांधी ने किसानों के समर्थन में जगह-जगह रैलियां शुरू कर दी हैं। संसद में भी कांग्रेस पार्टी किसानों के लिए जमकर लड़ रही है क्योंकि इन कानूनों से सब कुछ पूंजीपतियों के हाथ में चला जाएगा, जिससे किसान की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।


प्रश्न- क्या सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है
उत्तर- देखिए संसद में बहस हुई, हमने साथ दिया कि दोनों सदनों में बहस करके सारी बातों को रखा जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस मुद्दे पर राज्यसभा में हमारी पार्टी और विपक्ष के लोगों ने पूरी तरह से इस पर अपना पक्ष रखा लेकिन सरकार के पास कोई जवाब नहीं था। सरकार ने इस मुद्दे पर अड़ियल रवैया अपनाया हुआ है कि चाहे कुछ हो जाए वे कानून वापस नहीं लेंगे। सरकार ने इसे 'नाक का सवाल' बना लिया है।


प्रश्न- सरकार कह रही है कि हम संशोधन को तैयार हैं लेकिन कोई यह नहीं बता रहा कि बिल में संशोधन क्या करना है? 
उत्तर- सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत में किसानों ने और कांग्रेस ने भी यह प्रस्ताव दिया कि एम.एस.पी. की काननी गारंटी मिले, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। सभी को पता है कि सरकार प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कर रही है। यही वजह है कि सरकार एम.एस.पी. पर कानून नहीं केवल जुबानी आश्वासन दे रही है।


प्रश्न- क्या विपक्ष को सड़क पर नहीं उतरना चाहिए?
उत्तर- विपक्ष लगातार सड़क पर उतर रहा है। कांग्रेस पार्टी ने पेट्रोल- डीजल के बढ़ते दामों के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है। सोशल मीडिया पर, सड़क पर और संसद में हर जगह पर विपक्ष लगातार सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है। इसी का नतीजा है कि भाजपा का हर जगह विरोध हो रहा है और पंजाब के 'स्थानीय निकाय चुनाव' में तो भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। अगले चुनाव में कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस प्रचंड बहुमत से जीतेगी और साथ ही हिमाचल व हरियाणा के चुनाव में भी जीत हासिल होगा।


प्रश्न- 'महंगाई को देशहित में बता रही है भाजपा'
उत्तर- महंगाई के सवाल पर शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस महंगाई के खिलाफ आंदोलन कर रही है। इस आंदोलन में न सिर्फ नेता बल्कि आम लोग भी जुड़ रहे हैं। 2012 में जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तब यही लोग पेट्रोल, डीजल की कीमतों पर हाय-तौबा मचाते थे, जबकि उस वक्त कच्चे तेल की कीमत 110 से 120 डॉलर प्रति बैरल थी। अब तो 50 से 60 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से कच्चा तेल मिल रहा है। बावजूद इसके सरकार दोगुने-तिगने दाम पर तेल बेच रही है। उस वक्त विरोध करने वाली भाजपा आज इसे देशहित में बता रही है।

 

प्रश्न- हिमाचल उपचुनाव के लिए कांग्रेस की क्या तैयारी है?
उत्तर- उपचुनाव की हमने पूरी तैयारी कर रखी है, उपचुनाव हम जीतेंगे। जिस सीट पर उपचुनाव होना है वह पठानिया जी का बड़ा सम्मानित परिवार है। इस परिवार की हिमाचल में बहुत बड़ी साख है। निश्चित रूप से हम यह चुनाव जीतेंगे।


प्रश्न- क्या हिमाचल में वीरभद्र सिंह कांग्रेस को 'कमजोर' कर रहे हैं और कांग्रेस के गले की फांस बन गए हैं?
उत्तर- वीरभद्र सिंह हिमाचल में कांग्रेस को मजबूत कर रहे हैं, वह कांग्रेस को 'कमजोर नहीं कर रहे। हर कदम पर वह पार्टी को सहयोग देते हैं। पार्टी में कहीं कोई गुटबाजी नहीं है, आज के दौर में प्रदेश के सभी नेता एक प्लेटफॉर्म पर हैं। पार्टी में सभी एकजुट हैं, आपको यह चुनाव में देखने को मिलेगा कि कहीं किसी चीज की कमी नहीं आएगी। गुटबाजी अगर कहीं है तो वह भाजपा में है।


प्रश्न- पूरे देश में भाजपा बढ़त बनाती जा रही है और कांग्रेस लगातार 'कमजोर' होती जा रही है ?
उत्तर- भाजपा कहां बढ़त बना रही है। मध्य प्रदेश, मणिपुर और गोवा में भाजपा चुनाव हारी लेकिन सत्ता के बल पर हमारे विधायकों को तोड़कर इन्होंने सरकार बनाई। ये केंद्र में भाजपा की सरकार होने पर जबरदस्ती डरा-धमका कर, सत्ताबल व धनबल का उपयोग कर सरकारें बना रहे हैं, इसे बढ़त नहीं कहा जा सकता। राजस्थान व गुजरात में भी यही कोशिश की गई लेकिन महाराष्ट्र में कामयाब नहीं हो सके।


प्रश्न- हिमाचल निकाय चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं, आपको नहीं लगता कि हिमाचल से कांग्रेस धीरे-धीरे 'साफ' हो रही है ?
उत्तर- नहीं, नहीं, कोई साफ नहीं हो रही, आपने देखा कि हमने निकाय चुनाव में 70 प्रतिशत जीत हासिल की। निकाय चनाव पार्टी सिंबल पर नहीं हुआ था, जो निर्दलीय लड़ रहे थे, वे हमारे समर्थन से जीते। बाद में उनको डरा-धमका कर पैसे के लालच में तोड़ दिया गया। निकाय चुनाव में हमने 2 सीटों पर जीत हासिल की, बाकी जगहों पर भी हमारे लोग थे लेकिन उन्हें प्रशासनिक तंत्र लगा कर जीते लोगों पर प्रैशर डलवाया गया और जबरदस्ती सरकारें बनवाई। जिस दिन हिमाचल में सरकार आएगी आप देखना ये सब लौट कर कांग्रेस में आ जाएंगे।


प्रश्न- विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप तो सबसे पहले कांग्रेस पर ही लगा था?
उत्तर- यह केवल भाजपा का आरोप है, भाजपा तो कभी उस संख्या में रही ही नहीं जिसे हम किसी रूप में तोड़ते। ये सारे आरोप झूठे हैं।

 

प्रश्न- क्या आपको लगता है कि राहल गांधी कांग्रेस का 'भविष्य' हैं या पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को अब कांग्रेस की कमान दे दी जानी चाहिए?
उत्तर- यह फैसला गांधी परिवार लेगा, राहल गांधी हमारे नेता हैं, हमारे अध्यक्ष रहे हैं। हम तो यही चाहेंगे कि वह आगे फिर से हमारे अध्यक्ष बनें। अध्यक्ष के मामले पर पार्टी हाईकमान जो निर्णय लेगा हम सब उसके साथ हैं।


प्रश्न- बंगाल चुनाव में कांग्रेस का कोई प्रचार-प्रसार नहीं दिख रहा, जबकि भाजपा रैलियों और रोड शो के जरिए बड़े नेताओं को मैदान में उतार चुकी है?
उत्तर- अभी बंगाल में चुनाव की शुरूआत है, हमने लैफ्ट के साथ वहां गठबंधन किया है। बंगाल के चुनाव को हम पूरी मजबूती के साथ लड़ेंगे।

 

प्रश्न- प्रियंका गांधी जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 'मजबूत' करने में लगी हैं, उसे देखते हुए आपको नहीं लगता कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए?
उत्तर- देखिए, यह फैसला गांधी परिवार करेगा कि कौन कांग्रेस के अध्यक्ष बनेगा। जो गांधी परिवार तय करेगा हम लोग उसी के साथ जाएंगे। प्रियंका गांधी को सोनिया गांधी ने एक जिम्मेदारी दी है और वह पूरी शिद्दत से उसका निर्वहन करने में लगी हुई हैं।


प्रश्न- राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कई चनाव हारी, राहल कई बार 'फेल' हो चुके हैं।
उत्तर- देखिए जहां-जहां हम चुनाव हारे उसके लिए हम सब जिम्मेदार हैं, केवल राहुल गांधी पर हार का ठीकरा फोड़ना गलत है। राहुल हमेशा जुटे रहते हैं, संघर्ष करते हैं, इसके बाद चुनाव में जनता का फैसला होता है। गांधी परिवार का संघर्ष 70-80 साल का है, इसके बाद भी राहुल गांधी पार्टी को नेतृत्व देने का पूरा प्रयास कर रहे हैं


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Content Writer

vasudha

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