चीन ने तीस्ता नदी परियोजना को लेकर बांग्लादेश पर डाला दबाव, हसीना सरकार ने कहा-भारत के जवाब बाद लेंगे फैसला
punjabkesari.in Saturday, Mar 25, 2023 - 02:05 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: चीन बांग्लादेश पर तीस्ता नदी की व्यापक बहाली और नदी बेसिन के प्रबंधन के लिए एक परियोजना पर जोर देने की कोशिश कर रहा है जो अव्यवहार्य है और लंबे समय में बांग्लादेश के पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाने की संभावना है। ढाका स्वाभाविक रूप से इसे लागू करने के लिए अनिच्छुक है और अब तक परियोजना को स्वीकार करने के लिए चीनी दबावों का विरोध करता रहा है।
बांग्लादेश लाइव न्यूज ने बताया कि चीन भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता जल-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने में देरी के अवसर को जब्त करने की कोशिश कर रहा है। इस गतिरोध का लाभ उठाते हुए, चीनी सरकार ढाका को बांग्लादेश से होकर गुजरने वाली तीस्ता नदी की पूरी लंबाई की निकासी, नदी के मार्ग को सीधा करने और नदी के तल में तालाबों और जलाशयों को खोदने की योजना पर सहमत होने के लिए मजबूर कर रही है। लेकिन चीन के इस दबाव को नजरअंदाज करते हुए बांग्लादेश ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह तीस्ता नदी पर पश्चिम बंगाल सरकार की प्रस्तावित परियोजनाओं पर पिछले सप्ताह भारत को भेजे गए कूटनीतिक संदेश पर उसके जवाब का इंतजार कर रहा है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने जलपाईगुड़ी और कूच बिहार जिलों में सिंचाई के लिए तीस्ता नदी के जल मार्ग को मोड़ने के उद्देश्य से दो नयी नहरें बनाने का फैसला किया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता सेहेली सबरीन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें मौखिक संदेश पर अभी कोई जवाब नहीं मिला है। नयी दिल्ली से जवाब मिलने के बाद ही हमारी भविष्य की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।'' बांग्लादेश के विदेश कार्यालय ने कहा कि नयी दिल्ली से जवाब मिलने के बाद ढाका इस मुद्दे को हल करने के लिए अपनी भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करेगा।
सबरीन ने कहा कि ढाका बहु प्रतीक्षित तीस्ता जल-बंटवारे पर संधि पर हस्ताक्षर के लिए लंबे समय से भारत से बातचीत कर रहा है। यह पूछने पर कि क्या ढाका ने न्यूयॉर्क में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में तीस्ता नदी के जल बंटवारे का मुद्दा उठाया, इस पर सबरीन ने कहा कि बांग्लादेश ने सम्मेलन में सतत विकास पर अपनी राष्ट्रीय नीतियों का उल्लेख किया। कोलकाता में पश्चिम बंगाल सरकार की सिंचाई और जलमार्ग राज्यमंत्री सबीना यास्मीन ने कहा कि नहरें मुख्य रूप से आसपास के इलाकों में खेती में मदद करने के लिए बनायी गयी थीं और ये एक पुरानी परियोजना का हिस्सा थीं।
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