केंद्रीय सूचना आयोग ने दिल्ली के सीएम कार्यालय से कहा, इमामों के वेतन पर आदेश का पालन करें

punjabkesari.in Tuesday, May 23, 2023 - 07:37 PM (IST)

 

नेशनल डेस्क: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय को निर्देश दिया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी की उन मस्जिदों के इमामों को दिए गए वेतन की जानकारी दें जिनका रखरखाव दिल्ली वक्फ बोर्ड नहीं करता है। सीआईसी ने मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को यह भी निर्देश दिया कि वह उसके आदेश की प्रति मिलने के 20 दिन के अंदर इसपर अमल करें और चेताया कि अगर उसके आदेश का पालन नहीं किया गया तो वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर अधिकारियों को तलब कर लेगा।

सूचना आयुक्त उदय महूरकर ने कहा, “मामले की अगली सुनवाई सात जुलाई 2023 को दोपहर तीन बजे निर्धारित है ताकि इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।” उन्होंने कहा, “अगर जरूरी हुआ तो आयोग धारा 18 (3) (ई) के तहत उपलब्ध शक्तियों का इस्तेमाल कर संबद्ध पक्षों को तलब कर सकता है और सीआईसी के 25 नवंबर 2022 के आदेश का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित कर सकता है।” महूकर ने 25 नवंबर 2022 के आदेश में दिल्ली वक्फ बोर्ड और दिल्ली राजस्व विभाग को निर्देश दिया था कि वे सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की ओर से मांगी गई जानकारी उन्हें उपलब्ध कराएं।

अग्रवाल ने जानकारी मांगी थी कि राष्ट्रीय राजधानी में कुल कितनी मस्जिदें हैं जिनके इमामों को वेतन मिलता है। इसके अलावा उन्होंने इस पर खर्च हुई कुल राशि, वार्षिक व्यय और भुगतान के लिए जिम्मेदार सक्षम प्राधिकारी का विवरण भी मांगा था। अग्रवाल ने अपने आरटीआई आवेदन के जरिए यह भी पूछा था कि क्या हिंदू मंदिरों के पुजारियों को भी इस तरह वेतन का भुगतान किया जा रहा है? उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के कार्यालयों ने आरटीआई आवेदन पर कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन मुख्य सचिव के दफ्तर ने आवेदन को राजस्व विभाग और दिल्ली वक्फ बोर्ड भेज दिया। उच्चतम न्यायालय ने 1993 में अखिल भारतीय इमाम संगठन की एक याचिका पर वक्फ बोर्ड को उसके द्वारा प्रबंधित मस्जिदों के इमामों को पारिश्रमिक देने का निर्देश दिया था।

अग्रवाल ने आयोग में शिकायत देकर आरोप लगाया कि संबद्ध प्राधिकारियों ने सीआईसी के 25 नवंबर 2022 का आदेश का पालन नहीं किया है। महूकर ने कहा था कि मस्जिदों में इमामों को पारिश्रमिक देने का उच्चतम न्यायालय का 1993 का आदेश ‘‘संविधान का उल्लंघन'' है और यह ‘‘गलत उदाहरण'' पेश करने के अलावा अनावश्यक राजनीतिक विवाद एवं सामाजिक असामंजस्य का कारण बन गया है। आदेश का अनुपालन नहीं करने के मुद्दे पर अपने नवीनतम आदेश में, महूरकर ने जोर देकर कहा कि यह "वैध जानकारी को रोके रखने का बहुत गंभीर मामला है।"

राजस्व विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रतिनिधियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उन मस्जिदों के इमामों को वेतन देने के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदारी हैं जिनका रखरखाव बोर्ड नहीं करता है। इसके बाद आयोग के मुख्यमंत्री कार्यालय के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को निर्देश दिया कि वह इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाएं। महूकर ने कहा कि सूबत के तौर पर पेश की गईं समाचार रिपोर्ट इस बात का साफ संकेत करती हैं कि मुख्यमंत्री ने दिल्ली की उन मस्जिदों के इमामों और अन्य को तनख्वाह देने के संबंध में ऐलान किया था जो बोर्ड के नियंत्रण में नहीं आती हैं। उन्होंने अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह सीआईसी के आदेश में की गई सिफारिशों पर किसी भी कार्रवाई के संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री के प्रधान सचिव से सूचना हासिल करें। भाषा

 


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Content Editor

rajesh kumar

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