दिल्ली धमाका केस में बड़ा खुलासा - 12 दिन फरीदाबाद में खड़ी रही विस्फोटक से भरी i20 कार, डॉक्टर उमर की घबराहट से हुआ ब्लास्ट
punjabkesari.in Wednesday, Nov 12, 2025 - 10:29 AM (IST)
नेशनल डेस्क: दिल्ली के दिल दहला देने वाले रेड फोर्ट ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों को जो सुराग मिले हैं, उन्होंने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जो कार धमाके में इस्तेमाल हुई - सफेद ह्युंडई i20 - वह घटना से पहले हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में करीब 12 दिनों तक पार्क रही थी। यही वह जगह थी, जहां से इस साजिश की डोरें बुनी जा रही थीं।
डॉक्टर उमर ने निकाली थी कार - घबराहट में लिया खतरनाक फैसला
सूत्रों के अनुसार, डॉ. उमर नबी ने 10 नवंबर की सुबह, यानी धमाके वाले दिन, कार को कॉलेज परिसर से बाहर निकाला। बताया जा रहा है कि अपने साथियों की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही वह घबरा गया था और इसी हड़बड़ी में उसने विस्फोटक से भरी कार लेकर दिल्ली की ओर रुख किया।
धमाका और मौतों की चीख
शाम करीब 6:52 बजे, लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास कार में जबरदस्त विस्फोट हुआ। यह कार ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी हुई थी जब धमाका हुआ। इस हादसे में 9 लोगों की मौत और करीब दो दर्जन लोग घायल हुए।
फरीदाबाद से दिल्ली तक का रास्ता
जांच में पता चला है कि डॉ. उमर ने यह कार 29 अक्टूबर को फरीदाबाद के एक डीलर सोनू से खरीदी थी। उसी दिन उसने कार का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (PUC) भी बनवाया था। CCTV फुटेज में कार को सोनू के दफ्तर के पास रॉयल कार जोन के पास देखा गया है। इसके बाद उमर ने कार को अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के पार्किंग में खड़ा कर दिया - ठीक डॉ. मुजम्मिल शकील की स्विफ्ट डिज़ायर के बगल में। डॉ. शकील को सोमवार को 2,900 किलो विस्फोटक और हथियारों के जखीरे के साथ गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तारी ने बढ़ाई बेचैनी
जब डॉ. मुजम्मिल और डॉ. अदील अहमद Rather की गिरफ्तारी हुई, तो उमर नबी ने तुरंत फरीदाबाद से भागने की योजना बनाई। कार को सबसे पहले कनॉट प्लेस और फिर मयूर विहार में देखा गया। आख़िर में वह इसे चांदनी चौक के सुनेहरी मस्जिद पार्किंग में लेकर आया, जहां 3:19 बजे CCTV में उसकी कार दर्ज हुई। करीब तीन घंटे तक कार वहीं खड़ी रही - और उस दौरान उमर न तो बाहर निकला, न ही किसी से संपर्क किया। शाम 6:30 बजे के बाद वहीं भयानक विस्फोट हुआ।
आतंक का नेटवर्क और डॉक्टरों की कड़ी
मुख्य आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. अदील को जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में गिरफ्तार किया गया था। इनके नेटवर्क से डॉ. शाहीन सईद का नाम भी सामने आया, जो लखनऊ की डॉक्टर हैं और कथित तौर पर पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद की “महिला शाखा” बनाने की कोशिश कर रही थीं।
धमाका आत्मघाती नहीं था - बड़ी त्रासदी टली
शीर्ष खुफिया सूत्रों के मुताबिक, यह धमाका आत्मघाती नहीं, बल्कि गलती से हुआ विस्फोट था। जांच में यह भी पाया गया कि IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) गलत तरीके से असेंबल किया गया था, जिसके चलते विस्फोट की ताकत सीमित रही।
धमाके से ठीक पहले देशभर में 2,900 किलो विस्फोटक के जखीरे की बरामदगी और कई संदिग्धों की गिरफ्तारी ने इस पूरे नेटवर्क को डरा दिया था। माना जा रहा है कि इसी दहशत में उमर ने विस्फोटक को नष्ट करने या कहीं और ले जाने की कोशिश की, लेकिन गलती से विस्फोट हो गया।
विदेश से चल रहा था मॉड्यूल
जांच एजेंसियों का कहना है कि इस पूरे मॉड्यूल को विदेश से बैठे हैंडलर निर्देशित कर रहे थे। दिल्ली पुलिस, एनआईए और इंटेलिजेंस ब्यूरो अब इस नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने के लिए देशभर में छापेमारी कर रही हैं।
