ऑफ द रिकॉर्डः कर्नाटक चुनाव में भाजपा की हार राजस्थान में बनी वसुंधरा की ‘जीत’

punjabkesari.in Thursday, Jun 08, 2023 - 06:18 AM (IST)

नेशनल डेस्कः कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार का पार्टी आलाकमान पर प्रभाव पड़ता दिख रहा है। नेतृत्व ने महसूस किया कि यदि व्यापक समर्थन वाले राज्य के नेताओं को दरकिनार कर दिया गया तो पार्टी के लिए उन राज्यों को अपने नियंत्रण में बनाए रखना मुश्किल होगा। चूंकि इस वर्ष नवम्बर-दिसम्बर में 5 राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में चुनाव होने हैं इसलिए आलाकमान ने ‘180 डिग्री रुख’ अपनाया। 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राहत मिली तो राजस्थान भी आलाकमान के अपने विचार बदल लेने का साक्षी बन रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, जो पिछले 4 वर्षों से ‘अवांछित नेता’ बनी हुई थीं, को 31 मई को भाजपा की अजमेर रैली में मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बगल में बैठे हुए देखा गया। 

पी.एम. ने नाथद्वारा, दौसा और भीलवाड़ा सहित कई बार राजस्थान का दौरा किया परंतु अजमेर का दौरा अलग था। वसुंधरा न तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हैं और न ही राज्य विधानसभा में विपक्ष की नेता हैं, फिर भी उन्हें मंच पर मोदी के बगल वाली सीट दी गई और उन्हें पी.एम. से बातचीत करते देखा गया। हालांकि उन्होंने जनसभा को संबोधित नहीं किया परंतु उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया है, ऐसा मान लिया गया है। आलाकमान के चहेते माने जाने वाले केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के लिए यह एक बुरा संकेत हो सकता है। 

2018 के प्रसिद्ध नारे ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, पर रानी तेरी खैर नहीं’ के दिन लद गए। पार्टी ने महसूस किया कि वसुंधरा के बिना कांग्रेस को हराना असंभव होगा। वसुंधरा को आलाकमान ने आज दिल्ली बुलाया और वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की और संकेत दिया कि ‘कुछ किया जा रहा है।’ बैनर और पोस्टर में अब राजस्थान में राज्य भाजपा मुख्यालय के बाहर मोदी, जे.पी. नड्डा, अमित शाह, सी.पी. जोशी और राजेंद्र राठौड़ के साथ वसुंधरा का चित्र भी है।


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Pardeep

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