अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले नेताजी के बारे में जानिए कुछ दिलचस्प बातें

punjabkesari.in Monday, Jan 23, 2017 - 11:53 AM (IST)

नई दिल्ली: भारत की स्वतंत्रता के लिए तकरीबन पूरे यूरोप में अलख जगाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश के उन महानायकों में से एक हैं, जिन्‍होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। नेताजी के संघर्षों और देश सेवा के जज्बे के कारण ही महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था। नेता जी ने ही पहली महिला फौज का गठन किया था। नेताजी के जीवन और मृत्यु से जुड़े कई ऐसे राज हैं, जिनसे आज भी लोग अनजान हैं। कई लोग तो यह भी मानते हैं कि भारत सरकार ये जानती थी कि नेताजी विमान दुर्घटना में नहीं मरे लेकिन उन्होंने जनता से यह सच्चाई छुपाई। इस सच्चाई को छुपाने का एक बहुत बड़ा कारण यह कहा जाता था कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस महात्मा गांधी के विरोधी थे और कोई भी कांग्रेसी गांधी के विरोधी को पसंद नहीं करती थी।

नेताजी से जु़ड़े ऐसे तमाम दिलचस्प किस्से-
- आजाद हिंद फौज का गठन करके अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले फ्रीडम फाइटर सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उ़डीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था।

-सुभाषचंद्र बोस ने भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम के सेनानी भगत सिंह की फांसी रुकवाने का भरसक प्रयत्‍न किया। उन्‍होंने गांधी जी से कहा कि वह अंग्रेजों से किया अपना वादा तोड़ दें लेकिन वह भगत सिंह को बचाने में नाकाम रहे।

-सबसे पहले गांधीजी को राष्ट्रपिता कह कर सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया था और सुभाषचंद्र बोस जी को नेताजी कहने वाला पहला शख्स एडोल्फ हिटलर ही था।

-सन् 1938 में सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष हुए। अध्यक्ष पद के लिए गांधी जी ने उन्हें चुना था। गांधी जी तथा उनके सहयोगियों के व्यवहार से दुःखी होकर अन्ततः सुभाष चन्द्र बोस ने 29 अप्रैल, 1939 को कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया।

-अपने जीवनकाल में नेताजी को कुल 11 बार कारावास की सजा काटनी पड़ी। आखिरी बार 1941 को उन्‍हें कलकत्ता कोर्ट में पेश होना था लेकिन नेताजी अपने घर से भागकर जर्मनी चले गए और हिटलर से मुलाकात की।

-नेताजी ने दुनिया की पहली महिला फौज का गठन किया था। सुभाषचंद्र बोस 1934 में अपना इलाज करवाने आस्‍ट्रि‍या गए थे, जहां उनकी मुलाकात एक एमिली शेंकल नाम की टाइपिस्‍ट महिला से हुई। नेताजी इस महिला से अपनी किताब टाइप करवाने के लिए मिले थे इसके बाद नेताजी ने 1942 में इस महिला से शादी कर ली।

-उनके पिता की इच्छा थी कि सुभाष आईसीएस बनें। उन्होंने अपने पिता की यह इच्छा पूरी की। 1920 की आईसीएस परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान पाया मगर सुभाष का मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था। 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया।

-वे जब कलकत्ता महापालिका के प्रमुख अधिकारी बने तो उन्होंने कलकत्ता के रास्तों का अंग्रेजी नाम हटाकर भारतीय नाम पर कर दिया।

-18 अगस्त 1945 को वे हवाई जहाज से मंचूरिया जा रहे थे. इस सफर के दौरान ताइहोकू हवाई अड्डे पर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें उनकी मौत हो गई. उनकी मौत भारत के इतिहास का सबसे बड़ा रहस्य बनी हुई है। उनकी रहस्यमयी मौत पर समय-समय पर कई तरह की अटकलें सामने आती रहती हैं।


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