टॉपर्स घोटाले में बड़ा खुलासा, ऐसे चलता था शातिर दिमाग लालकेश्वर का ‘खेल’

punjabkesari.in Tuesday, Jun 21, 2016 - 05:37 PM (IST)

पटना: बिहार टॉपर्स घोटाले में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। घोटाले के मास्टरमाइंड बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह के बारे में भी ऐसी जानकारी सामने आई है कि हर कोई हैरान हो जाए। लालकेश्वर और उसकी पत्नी और जेडीयू की पूर्व विधायक उषा सिन्हा को एसआईटी ने सोमवार की सुबह बनारस से गिरफ्तार कर लिया। लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उनकी पत्नी को मंगलवार को पटना की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

ऐसे देते थे फर्जीवाड़े को अंजाम
एसआईटी के मुताबिक, असली परीक्षार्थी की जगह स्कॉलरों को बैठाया जाता था। ये खेल बोर्ड की ओर से परीक्षार्थियों को फॉर्म भरवाने के साथ शुरू हो जाता था। जिन छात्रों या कॉलेज के साथ बोर्ड अध्यक्ष की डील होती थी उनको फॉर्म मे गड़बड़ी करने को कहा जाता था। इसके बाद उन्हें बोर्ड की ओर से गलत एडमिट कार्ड जारी हो जाता था। परीक्षार्थियों को एडमिट कार्ड में गड़बड़ी को दूर करने के लिए कॉलेज के प्रिसिपल को अधिकार दे दिए जाते थे, वो परीक्षार्थियों की एडमिट कार्ड के विवरण को सुधार कर हस्ताक्षर और मुहर के साथ एडमिट कार्ट जारी कर देते थे।

सिर्फ उपस्थिति रजिस्टर पर साइन करता था परीक्षार्थी
परीक्षार्थी का नाम तो असली रहता था लेकिन एडमिट कार्ड में फोटो स्कॉलर का होता था। ज्यादा परेशानी होने पर बोर्ड के द्वारा परीक्षा केन्द्रों पर ऐसे जारी एडमिट कार्डों की जानकारी दे दी जाती थी ताकि उसकी गलतियों पर परीक्षक भी उस पर ध्यान नही देते थे। उसके बाद संबंधित कालेज परीक्षा केन्द्र से सेंटिंग कर केवल उपस्थिति रजिस्टर पर असली छात्र का हस्ताक्षर करा लिया जाता था।

बोर्ड के नियमों को ठेंगा, क्लर्क से लेकर अफसरों तक सेटिंग
लालकेश्वर बोर्ड के सभी नियमों को दरकिनार कर सीधे क्लर्कों से बात कर परीक्षा और रिजल्ट में गड़बड़ी को अंजाम देता था। एसआईटी ने लालकेश्वर प्रसाद सिंह, उसकी पत्नी प्रोफेसर उषा सिन्हा और बच्चा राय के करीबियों की लिस्ट तैयार कर ली है। इसमें क्लर्क, प्रिंसिपल सहित तीन दर्जन से ज्यादा लोगों के नाम दर्ज हंैं। इसमें कई और नाम जुड सकते हैं।

बेटे के बैंक में जमा करवाया बोर्ड का पैसा
बोर्ड ऑफिस में स्थित स्टेट बैंक जहां बोर्ड का खाता हुआ करता है, उसमें लालकेश्वर ने बोर्ड का पैसा जमा न करवा कर उस बैंक में पैसा जमा करवाया जिसमें उसका बेटा काम करता था। बोर्ड का लगभग 54 करोड रुपया जमा कराने के एवज में उस बैंक ने लालकेश्वर के बेटे को कई पदोन्नतियां भी दीं।


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