आखिर कहां से आया ''भारत माता की जय'' का नारा...कौन है इसका जनक

punjabkesari.in Sunday, Apr 10, 2016 - 02:22 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत माता की जय भारतीय स्वाधीनता संग्राम के समय सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला नारा था। भारत भूमि को जीवन का पालन करने वाली माता के रूप में रूपायित कर उसकी मुक्ति के लिए की गई कोशिशों में इस नारे का बार-बार प्रयोग किया। आज भी इस नारे का प्रयोग राष्ट्रप्रेम या राष्ट्र निर्माण से जुड़े अवसरों, कार्यक्रमों एवं आंदोलनों में किया जाता है। भगत सिंह ने भी आजादी के लिए अंग्रेजों के सामने भरी अदालत में भारत माता की जय कहके अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। वहीं आज इस नारे पर लागातर विवादित बयान आ रहे हैं। क्या आपको पता है सबसे पहले यह शब्द आया कहां से और इसकी इस्तेमाल कब हुआ। आइए आज आपको इसके इतिहास के बारे में बताते हैं।

-किरन चन्द्र बन्दोपाध्याय ने किया था इसका इस्तेमाल
बंगला के सुप्रसिद्ध साहित्यकार किरन चन्द्र बन्दोपाध्याय का नाटक ''भारत माता'' सन् 1873 में सबसे पहले खेला गया था। नाटक ''भारत माता'' बंगाल में अकाल की कहानी थी। इसके बाद बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने भारत के राष्ट्रीय गीत ''वन्दे मातरम्'' में इसका गुणगान किया जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था।

-ऐसे बनी थी भारत माता की तस्वीर
वर्ष 1905 में अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता का पहला चित्र बनाया था। इस तस्वीर में अवनींद्र नाथ टैगोर ने भारत माता को चारभुजाधारी हिन्दू देवी के रूप में चित्रित किया जो केसरिया वस्त्र धारन किए हैं, हाथ में पुस्तक, माला, श्वेत वस्त्र तथा धान की बाली लिए हैं। यह चित्र इतना प्रसिद्ध हो गया कि कई कलाकारों ने इसका इस्तेमाल अपने ढंग से करने लग गए। इसके बाद 1909 में दक्षिण भारत के एक अखबार विजया का विज्ञापन प्रकाशित हुआ। इसमें भारत माता के हाथों में चार बच्चे चित्रित किए गए थे, जो हिन्दू और मुस्लिम परिधान में थे। फिर भारत माता को देवी दुर्गा के रूप में चित्रित किया गया।

-जवाहरलाल नेहरू भी भारत माता के समर्थक
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ''डिस्कवरी ऑफ इंडिया'' में लिखा है- जब मैं सभाओं में जाता हूूं तो ''भारत माता की जय'' के नारे लगते हैं। मैं लोगों से पूछता हूं यह भारत माता कौन है। फिर बताता हूं कि यह भूमि तो भारत माता है ही, लेकिन सच्चे अर्थों में यहां के लोग भारत माता हैं। इसकी जय का मतलब इस भूमि के लाखों लोगों की जीत का संकल्प है।

-महात्मा गांधी ने किया पहले भारत माता मंदिर का उद्घाटन

भारत माता मंदिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (वाराणसी) के प्रांगण में है। इसका निर्माण डाक्टर शिवप्रसाद गुप्त ने कराया और उद्घाटन सन् 1936 में गांधी द्वारा किया गया। इस मंदिर में किसी देवी-देवता का कोई चित्र या प्रतिमा नहीं है बल्कि संगमरमर पर उकेरी गई अविभाजित भारत का त्रिआयामी भौगोलिक मानचित्र है। इस मानचित्र में पर्वत, पठार, नदियां और सागर सभी को बखुबी दर्शाया गया है।


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