Space से लौटकर सबसे पहले क्या करते हैं एस्ट्रोनॉट, स्पेसक्राफ्ट से बाहर आकर कहां जाएंगे शुभांशु?

punjabkesari.in Tuesday, Jul 15, 2025 - 04:36 PM (IST)

नेशलन डेस्क: अंतरिक्ष में 18 दिन बिताने के बाद शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम आज पृथ्वी पर लौट रही है। यह टीम एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा रही, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए। जैसे ही ये अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर उतरेंगे, उनके सामने एक नया सफर शुरू होगा – अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटने के बाद शरीर को फिर से सामान्य जीवन के लिए ढालना। इस खबर में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि स्पेसक्राफ्ट से बाहर निकलने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वे सबसे पहले क्या करते हैं। शुभांशु शुक्ला के साथ मिशन में कमांडर पैगी व्हिट्सन, मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी शामिल थे। यह चारों क्रू सदस्य लगभग 22.5 घंटे की यात्रा के बाद कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में समुद्र पर उतरेंगे। यह मिशन 25 जून को शुरू हुआ था और इस दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर करीब 60 प्रयोग सफलतापूर्वक किए।

सबसे पहले क्या होता है – हेल्थ चेकअप

पृथ्वी पर लौटने के तुरंत बाद अंतरिक्ष यात्री स्पेसक्राफ्ट के अंदर ही कई तरह की मेडिकल जांचों से गुजरते हैं। उनकी हृदय गति, रक्तचाप, मांसपेशियों की ताकत और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परीक्षाएं की जाती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अंतरिक्ष की अत्यधिक परिस्थितियों से सुरक्षित रूप में लौटे हैं। इसके बाद उन्हें एक हेलिकॉप्टर द्वारा तट तक ले जाया जाता है, जहां उनका पुनर्वास शुरू होता है।

अंतरिक्ष से पृथ्वी तक का अनुकूलन – एक नई चुनौती

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होने की वजह से एस्ट्रोनॉट्स का शरीर माइक्रोग्रैविटी की आदत में होता है। ऐसे में पृथ्वी की सामान्य गुरुत्वाकर्षण शक्ति में लौटने पर उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वे तैरने जैसी स्थिति में होते हैं और तुरंत अपने पैरों पर खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है। इसे ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन कहते हैं, जिसमें खड़े होने पर चक्कर आना आम बात है। इसलिए लौटने के बाद उन्हें खास तौर पर कुर्सी पर बैठाकर उनकी देखभाल की जाती है।

आइसोलेशन का महत्व

अंतरिक्ष में शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है क्योंकि माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष के अलग वातावरण के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अलग तरीके से काम करती है। इसलिए, पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को एक हफ्ते तक आइसोलेशन में रखा जाता है। इस दौरान वे पर्यावरण से पूरी तरह अलग रहते हैं ताकि बाहरी संक्रमण से बचा जा सके। यह प्रक्रिया उन्हें धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण के अनुसार अनुकूल बनाने में मदद करती है।

शरीर की जटिलताएं और मानसिक स्थिति

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है और रक्त संचार प्रभावित होता है। इसलिए लौटने के बाद एक सप्ताह तक उन्हें चिकित्सकीय सहायता के साथ-साथ फिजिकल थेरेपी की भी जरूरत होती है। इसके अलावा मानसिक रूप से भी अनुकूलन का दौर होता है क्योंकि अंतरिक्ष की अलग दुनिया से वापसी पृथ्वी की रोजमर्रा की जिंदगी में लौटने जैसी होती है।

परिवार से मिलना – पहले क्या होता है?

अक्सर लोगों को यह सवाल होता है कि आखिर अंतरिक्ष से लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट्स घर कब जाते हैं और परिजनों से कब मिलते हैं? जवाब है कि उन्हें सबसे पहले आइसोलेशन और मेडिकल जांच से गुजरना होता है। इसका कारण यह है कि उनका शरीर संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इसलिए वे तुरंत घर नहीं जाते बल्कि पहले रिकवरी सेंटर में रहकर अपनी सेहत सुधारते हैं। इसके बाद ही वे अपने परिवार से मिलते हैं।

शुभांशु शुक्ला का मिशन और उपलब्धियां

शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन में शामिल होकर भारत के लिए गौरव की बात है। इस मिशन में उन्होंने आईएसएस पर 18 दिन बिताए और विज्ञान के क्षेत्र में करीब 60 प्रयोग किए। ये प्रयोग अंतरिक्ष में जीवन, मानव स्वास्थ्य, और पृथ्वी की बेहतर समझ के लिए महत्वपूर्ण हैं। मिशन की सफलता से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) समेत पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन हुआ है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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