चमत्कार! अब बिना गर्भ के भी जन्म ले सकेंगे बच्चे, जानें किन लोगों को मिलेगी बड़ी राहत?

punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 11:21 AM (IST)

नेशनल डेस्क। विज्ञान जगत ने एक ऐसी बड़ी सफलता हासिल की है जो प्रजनन (Fertility) और पैरेंटिंग (Parenting) के तरीकों में क्रांति ला सकती है। वैज्ञानिकों ने त्वचा कोशिकाओं (Skin Cells) से मानव अंडे (Human Eggs) बनाने में कामयाबी हासिल की है। यह रिसर्च दुनिया भर के उन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की एक नई किरण है जो इनफर्टिलिटी (Infertility) के कारण माता-पिता नहीं बन पाते हैं भले ही उन्होंने आईवीएफ (IVF) का सहारा लिया हो।

कैसे काम करती है यह क्रांतिकारी प्रक्रिया?

ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के संस्थान निदेशक शौकरत मितालिपोव के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन को नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल (Nature Communications Journal) में प्रकाशित किया गया है।

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यह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार काम करती है:

  1. सबसे पहले एक औसत मानव त्वचा कोशिका (Average Human Skin Cell) का न्यूक्लियस लिया जाता है। न्यूक्लियस में ही हमारा अधिकांश जेनेटिक कोड (Genetic Code) मौजूद होता है।

  2. इसके बाद इस न्यूक्लियस को एक डोनर एग (Donor Egg) में प्रत्यारोपित (Implant) किया जाता है जिसका अपना जेनेटिक कोड पहले ही हटा दिया गया होता है।

  3. इस प्रक्रिया के सफल होने पर सैद्धांतिक रूप से बिना बायोलॉजिकल मदर (यानी बिना मां के गर्भ) के भी बच्चे पैदा हो सकेंगे।

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किन लोगों को मिलेगी बड़ी राहत?

अगर यह तकनीक पूरी तरह से सफल हो जाती है तो बच्चे पैदा करने के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आएगा।

  • इनफर्टिलिटी से पीड़ित: यह उन सभी लोगों को सीधी राहत देगी जो किसी भी कारण से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं।

  • महिलाओं को लाभ: दुनिया भर में जो महिलाएं किसी भी कारण से गर्भधारण नहीं कर पातीं या जिनका गर्भ काम नहीं करता वे भी मां बन पाएंगी।

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गौर करने वाली बात: नैतिक और कानूनी प्रश्न

वैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया को चिकित्सा में पूरी तरह से लागू करने से पहले उन्हें कम से कम एक दशक तक एक्सपेरिमेंट करना होगा। इसके साथ ही इस प्रक्रिया को लागू करने से पहले इससे जुड़े नैतिक (Ethical) और कानूनी (Legal) प्रश्नों पर भी काफी कुछ सोचने और चर्चा करने की आवश्यकता है क्योंकि यह तकनीक मानव प्रजनन के पारंपरिक तरीकों को पूरी तरह से बदल सकती है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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