अयोध्या केस: मुस्लिम पक्ष ने अपने ''मोल्डिंग ऑफ रिलीफ'' को सार्वजनिक किया

punjabkesari.in Sunday, Oct 20, 2019 - 06:48 PM (IST)

नेशनल डेस्कः अयोध्या केस में मुस्लिम पक्ष ने अपने मोल्डिंग ऑफ रिलीव को सार्वजनिक कर दिया है। मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट खुद तय करे कि किसे क्या राहत देनी है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि कोर्ट को ऐसा करते समय संवैधानिक मूल्यों का ध्यान रखा जाए। देश की राजनीति और भविष्य पर होने वाले असर को देखते हुए फैसला देना चाहिए।

सीलबंद लिफाफे में नोट देने पर हिंदू पक्ष के विरोध के बाद मुस्लिम पक्ष ने सार्वजनिक मोल्डिंग ऑफ रिलीव से जुड़ा नोट सार्वजनिक किया है। मुस्लिम पक्ष ने लिखित जवाब में सबकुछ कोर्ट पर छोड़ते हुए यह उम्मीद जताई है कि अदालत इस देश की विविध धर्मों/संस्कृतियों को समेटे विरासत को ध्यान में रखते हुए फैसला दे। ये भी ध्यान रहे कि आने वाली पीढ़ियां इस फैसले को कैसे देखेंगी?
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बता दें कि अयोध्या मामले के मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त रूप से ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर अपनी वैकल्पिक मांग सीलबंद लिफाफे में पेश की थी। रामलला विराजमान/हिंदू पक्षकारों ने मुस्लिम पक्ष का मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का हलफनामा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को देने का विरोध किया। सुन्नी वक्फ बोर्ड बोर्ड में रिजवी पक्ष ने कहा है कि सामाजिक समरसता को देखते हुए जो कोर्ट को उचित लगे, वह करे।

रामलला विराजमान की ओर से ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर लिखित नोट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया। रामलला ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पूरी जमीन राम मंदिर के लिए उन्हें दिया जाए। निर्मोही अखाड़ा ने को कोई अधिकार नहीं मिलना चाहिए।

हिन्दू महासभा ने 'मोल्ड़िंग ऑफ रिलीफ़' को लेकर दायर नोट में कहा है मंदिर के रखरखाव और प्रशासन के लिए कोर्ट 'स्किम ऑफ़ एडमिस्ट्रेशन' बनाये। कोर्ट एक ट्रस्ट का गठन करे जो राम मंदिर के निर्माण के बाद पूरी व्यवस्था देखे। सुप्रीम कोर्ट इसके लिए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करे।


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Yaspal

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