जानिए कैसे होती है वोटों की गिनती, कौन करता है मतगणना

punjabkesari.in Saturday, Mar 11, 2017 - 11:07 AM (IST)

नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, और पंजाब के कुल 690 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान की गिनती हो रही है और प्रथम रुझान आने शुरू हो गए हैं। मतगणना की इस पूरी प्रक्रिया में काफी लंबी जद्दोजहद होती है जिसे राज्य और केंद्र के अधिकारी, पुलिसकर्मी और अन्य कर्मचारी मिलकर अंजाम देते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि आखिर काउंटिंग को कैसे अंजाम दिया जाता है और इसे किन-किन प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ता है। मतदान के खत्म होते ही सीलबंद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को मतगणना केंद्र पर लाकर उन्हें स्ट्रॉन्ग रुम में रखा जाता है जिसकी सुरक्षा 24 घंटे चाक-चौबंद होती है। स्ट्रॉन्ग रूम तीन स्तर के सुरक्षा चक्र से घिरी होती है ताकि किसी तरह की कोई ऐसी गतिविधि न हो जिससे की ईवीएम को कोई नुकसान पहुंचे।

इनके कंधों पर होती है सुरक्षा
यहां तक मतगणना के दिन भी यही सुरक्षा चक्र मतगणना केंद्र की हिफ़ाज़त कर रही होती है। हालांकि इसकी मुख्य ज़िम्मेदारी केंद्रीय बल के जवान संभालते हैं। आमतौर पर राज्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्धारित जिला मुख्यालय में किसी नियत जगह पर मतगणना की जाती है, जहां उस केंद्र से जुड़े सभी विधानसभा क्षेत्रों के मतों की गिनती होती है।

ऐसे शुरू होती है गिनती की प्रक्रिया
-मतगणना के दिन सुबह 7 से 8 बजे तक मतगणना केंद्र के भीतर संबंधित कर्मचारियों और एजेंटों को प्रवेश दिया जाता है।

-सुबह 8 बजे मतों की गिनती शुरू हो जाती है लेकिन इसमें 10 से 15 मिनट की देरी भी हो सकती है।

-प्रत्येक घंटे में 4 से 4 राउंड की काउंटिंग होती है। जिस विधानसभा में सबसे कम राउंड होंगे वहां पर मतों की गिनती सबसे पहले होगी।

-सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती: निर्वाचन अधिकारी मुताबिक पोस्टल बैलेट की गिनती सबसे पहले शुरू होती है। उसके बाद उसे पोस्टल बैलेट टेबल पर भेज देते हैं।

-पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के आधे घंटे बाद ही ईवीएम से गिनती शुरू होती है।

सबसे पहले स्ट्रॉंग रुम से ईवीएम को काउंटिंग टेबल जिस जगह पर मतगणना होनी है, पर लाया जाता है।

-एक बार में ज्यादा से ज्यादा 14 ईवीएम की गिनती की जाती है।

-मतगणना (काउंटिंग) पर्यवेक्षक काउंटिंग एजेंट्स की मदद से वोटों के गिनती की शुरुआत करते हैं।

-मतगणना पर्यवेक्षक सबसे पहले ईवीएम पर लगे सुरक्षा की जांच करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि मशीन से किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है.

-मतगणना की पूरी प्रक्रिया से जुड़े सुपरवाइज़र मतगणना एजेंट को बताते हैं कि कैसे ईवीएम बटन दबाते हैं, जिसके बाद हर उम्मीदवार के मतों की संख्या दिख जाती है।

-जैसे चुनाव अधिकारी रिजल्ट बटन को दबाता है, हर उम्मीवार को पड़े वोट की संख्या आ जाती है।

-वोटों की गिनती कर रहा कर्मचारी हर उम्मीवार को पड़े वोट की संख्या लिखकर उसे रिटर्निंग ऑफिसर को भेज देता है।

-जैसे ही एक चरण के मतगणना की प्रक्रिया पूरी होती है। मतगणना से जुड़े कर्मचारी सारी जानकारी रिटर्निंग ऑफिसर को दे देते हैं जिसके बाद पहले चरण के नतीजों का ऐलान किया जाता है।

-हर चरण की गिनती के नतीजे की जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी को दी जाती है. फिर यहीं से जानकारी चुनाव के सर्वर में फीड की जाती है।

-प्रत्येक राउंड के बाद ईवीएम डाटा और शीट में भरे गए डाटा का मिलान किया जाता है।

-मिलान के बाद इसे रिटर्निंग ऑफिसर और प्रत्याशियों के एजेंटों को भी नोट कराया जाता है।

-इसके अलावा मतगणना स्थल पर लगे बोर्ड पर प्रत्येक राउंड के बाद वोटों की गिनती चस्पा की जाती है।

-वोटों के गिनती की यह प्रक्रिया चलती रहती है जब तक मतगणना पूरी नहीं हो जाती।

ये करते हैं मतगणना
सरकारी विभागों में कार्यरत केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी वोटों की गिनती करते हैं। मतगणना से पूर्व इन कर्मचारियों को एक हफ्ते पहले प्रशिक्षण के लिए मतगणना केंद्र भेजा जाता है। इसके बाद सभी कर्मचारी संबंधित विधानसभा क्षेत्र में 24 घंटे के लिए भेज दिए जाते हैं। सबसे आखिरी में इन कर्मचारियों को सुबह पांच से 6 बजे तक मतगणना टेबल पर बैठना होता है। हर टेबल पर मतगणना पर्यवेक्षक, सहायक होते हैं। चुनाव आयोग इस बार कहा कि शाम 5 बजे तक मतगणना पूरी कर ली जाएगी यानी शाम पांच बजे तक सारे नतीजे आ जाएंगे।

 


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