डेल्टा से ओमिक्रोन और अब JN.1 तक, जानिए कोरोना वेरिएंट्स के नाम कैसे रखे जाते हैं?
punjabkesari.in Saturday, May 31, 2025 - 02:48 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं। अस्पतालों में सतर्कता बढ़ाई जा रही है और लोग भी मास्क पहनने व सोशल डिस्टेंसिंग जैसे एहतियात दोबारा अपनाने लगे हैं। इस बार कोरोना वायरस के दो नए वेरिएंट NB.1.8.1 और JN.1 सामने आए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन वेरिएंट्स से अब तक 1000 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं।
अब तक आए ये बड़े वेरिएंट
कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक वायरस के कई रूप यानी वेरिएंट्स सामने आ चुके हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं –
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अल्फा (Alpha)
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बीटा (Beta)
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गामा (Gamma)A
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डेल्टा (Delta)
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ओमिक्रोन (Omicron)
इनके बाद अब कई सब-वेरिएंट्स यानी उप-रूप सामने आ चुके हैं जो तेजी से फैलने में सक्षम हैं। ओमिक्रोन का तो अब तक सबसे ज्यादा असर देखा गया है।
कोरोना वेरिएंट्स के नाम कैसे रखे जाते हैं
एक बड़ा सवाल यह उठता है कि इन वेरिएंट्स के नाम आखिर रखता कौन है और कैसे रखे जाते हैं। इसका जवाब है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)। WHO ही तय करता है कि किसी वेरिएंट को कब और क्या नाम दिया जाएगा। नाम रखने के लिए वैज्ञानिकों ने शुरू में जटिल तकनीकी नाम दिए, लेकिन आम लोगों के लिए उन्हें समझना मुश्किल था। इसी वजह से ग्रीक अक्षरों का इस्तेमाल शुरू किया गया।
क्यों चुने गए ग्रीक अक्षर
WHO ने ग्रीक अक्षरों का इस्तेमाल करने की कुछ खास वजहें बताई हैं –
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ये अक्षर छोटे होते हैं
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याद रखना आसान होता है
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किसी देश, संस्कृति या समुदाय को गलत तरीके से दोषी ठहराने से बचा जा सकता है
इसका एक उदाहरण यह है कि अगर किसी वेरिएंट का नाम उस देश पर रख दिया जाता जहां वो पहली बार मिला, तो उस देश के लोगों के प्रति गलत धारणाएं बन सकती हैं। ग्रीक अक्षर इस भेदभाव को खत्म करने में मदद करते हैं।
ग्रीक अक्षरों का इतिहास
ग्रीक वर्णमाला का इतिहास करीब 1000 ईसा पूर्व से जुड़ा है। यह प्राचीन फोनीशियन लिपि से विकसित हुई थी। ग्रीक अक्षरों के कई नाम हिब्रू भाषा से आए हैं। आज भी यह वर्णमाला ग्रीस में सक्रिय रूप से उपयोग में लाई जाती है। कोरोना वेरिएंट्स के नाम जैसे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमिक्रोन इन्हीं ग्रीक अक्षरों से लिए गए हैं।
ओमिक्रोन और इसके सब-वेरिएंट्स की खतरनाक रफ्तार
अब तक जितने भी कोरोना वेरिएंट आए हैं, उनमें से ओमिक्रोन सबसे ज्यादा तेजी से फैलने वाला वेरिएंट साबित हुआ है। इसके कई सब वेरिएंट सामने आए हैं, जो डेल्टा जैसे खतरनाक वेरिएंट से भी ज्यादा संक्रामक माने गए हैं। इन सब वेरिएंट्स में कुछ ऐसे हैं जो वैक्सीन के असर को भी आंशिक रूप से कम कर सकते हैं। यही वजह है कि वैज्ञानिक और डॉक्टर लगातार सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं।
नाम से ज्यादा जरूरी है सतर्कता
हालांकि वेरिएंट्स का नामकरण जरूरी है ताकि उनकी पहचान और निगरानी आसान हो सके, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है लोगों का सतर्क रहना। जैसे-जैसे नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं, उनकी रफ्तार और असर भी बदल रहा है। इसलिए जरूरी है कि लोग नियमित रूप से मास्क पहनें, भीड़भाड़ से बचें, हाथ धोते रहें और अगर कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत टेस्ट करवाएं।