असम चुनावः हेमंत बिस्वा सरमा बोले- जो मोदी, शाह कहेंगे वो करूंगा
punjabkesari.in Thursday, Mar 25, 2021 - 07:00 PM (IST)

नेशनल डेस्कः असम में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हिमंत बिस्वा सरमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास ‘लॉबिंग' करने से कुछ नहीं मिलने वाला है तथा वह इस बारे में पार्टी के इन दोनों शीर्ष नेताओं के किसी भी फैसले का पालन करेंगे। हिमंत ने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के सत्ता में बने रहने पर मौजूदा मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, वह या किसी तीसरे व्यक्ति को राज्य की बागडोर थमाने के बारे में फैसला मोदी या शाह लेंगे।
मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा द्वारा अपना उम्मीदवार घोषित नहीं करने पर हिमंत को इस पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। उन्होंने भगवा पार्टी नीत गठगंधन और कांग्रेस-एआईयूडीएफ गठजोड़ के बीच चुनावी मुकाबले को राज्य में असमिया एवं मियां संस्कृतियों के बीच सभ्यताओं के टकराव का हिस्सा बताया। गौरतलब है कि असम में मियां बांग्ला भाषी मुसलमानों को कहा जाता है, जिनकी राज्य में विधानसभा की 30 से 40 विधानसभा क्षेत्रों में अच्छी खासी उपस्थिति हैं।
हिमंत ने कहा कि शुरूआत में कांग्रेस और तत्कालीन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन तथा असम गण परिषद ने इस अस्मिता की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ी थी और भाजपा असम की स्थानीय संस्कृति की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘एआईयूडीएफ के प्रमुख बदरूद्दीन अजमल सभ्यताओं के टकराव के प्रतीक हैं। 1930 के दशक में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच संघर्ष के दिनों से यह लड़ाई चल रही है और असम के लोगों को अपने जीवन-यापन की गुंजाइश को बनाए रखना होगा, अन्यथा उनके पास कुछ नहीं बचेगा। ''
मुख्यमंत्री पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं घोषित करने के भाजपा के फैसले के बारे में पूछे जाने पर हिमंत ने कहा कि इस बारे में सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व ही सवालों का जवाब दे सकता है। भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने यह घोषणा की थी कि वह इस शीर्ष पद (मुख्यमंत्री का) पर उनकी नजरें टिकी होने के बारे में किसी भी भ्रम को दूर करने के लिए विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उन्होंने अपना फैसला बदल लिया क्योंकि पार्टी ने उनसे ऐसा करने को कहा था।
मुख्यमंत्री पद की उनकी महत्वाकांक्षा के बारे में पूछे जाने पर हिमंत ने कहा, ‘‘यदि मेरी कोई महत्वाकांक्षा भी हो तो उससे क्या फर्क पड़ता है। यदि प्रधानमंत्री और अमित भाई फैसला करते हैं कि मैं (मुख्यमंत्री) नहीं बनूंगा तो क्या मैं बन सकता हूं? आप उन चीजों के बारे में नहीं सोच सकते जिनसे कोई फायदा नहीं होने वाला। आखिरकार, मुझे प्रधानमंत्री और अमित भाई के फैसले का पालन करना होगा। वे जो कुछ भी कहेंगे, उस पर सवाल किये बगैर मुझे उसका पालन करना होगा। इसलिए मैं इस बारे में क्यों सोचूं।''
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और अमित भाई के पास कोई ‘लॉबिंग' करने से कुछ नहीं मिलने वाला है। वे हर किसी को जानते हैं और उनके पास हर किसी का भविष्य फल है। यदि उन्हें लगता है कि हिमंत बिस्वा सरमा असम में उपयुक्त व्यक्ति है तो वे मुझे चुनेंगे, यदि उन्हें लगता है कि सर्वानंद सोनोवाल उपयुक्त व्यक्ति हैं तो वह उन्हें यह जिम्मेदारी देंगे या यदि उन्हें लगता है कि हम दोनों उपयुक्त नहीं हैं तो किसी तीसरे व्यक्ति को लाया जाएगा...इसलिए मुझे बताइए जरा कि यदि मैं और सर्वानंद सोनोवाल हजारों प्रेस इंटरव्यू भी देते हैं तो क्या इससे कुछ मिलने जा रहा है? ''