Plane Crash Reason: क्यों हो रहे बार-बार प्लेन हादसे, सामने आई बड़ी वजह...वैज्ञानिकों की चेतावनी
punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 11:39 AM (IST)

नेशनल डेस्क: हवाई यात्रा के दौरान झटके यानी टर्बुलेंस कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह घटनाएं अधिक बार और ज्यादा खतरनाक होती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से अब आसमान पहले से कम स्थिर हो गया है, जिससे उड़ानों में अचानक आने वाले झटकों की संभावना तेजी से बढ़ रही है। इससे यात्रियों को गंभीर चोट लगने का खतरा रहता है और कुछ मामलों में जान भी जा सकती है।
रोलर कोस्टर जैसी फ्लाइट, सिर में लगी iPad से चोट
न्यूजीलैंड जा रहे प्रोजेक्ट मैनेजर एंड्रयू डेविस ने साल 2024 में म्यांमार के पास आए तूफान के दौरान इस तरह का अनुभव किया। उन्होंने बताया, "यह किसी रोलर कोस्टर की सवारी जैसा था। लोग चिल्ला रहे थे, हर तरफ मलबा और कॉफी बिखरी हुई थी। मेरा iPad उड़कर सिर में लग गया।" इस घटना में 73 साल के एक यात्री जियोफ किचन की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।
1981 से अब तक केवल 4 मौतें, लेकिन चोटों में बढ़ोतरी
हालांकि, टर्बुलेंस से होने वाली मौतें बहुत ही दुर्लभ हैं। 1981 से अब तक ऐसे केवल 4 मामले सामने आए हैं। लेकिन गंभीर चोटों की संख्या में लगातार इज़ाफा हो रहा है। अकेले अमेरिका में 2009 के बाद से 200 से ज्यादा यात्रियों को गंभीर चोटें आई हैं, जिनमें ज्यादातर केबिन क्रू शामिल थे।
40% गंभीर हादसे टर्बुलेंस के कारण
2023 में इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (ICAO) के अनुसार, दुनिया भर में फ्लाइट्स के दौरान हुई सभी गंभीर चोटों में से लगभग 40% सिर्फ टर्बुलेंस की वजह से हुईं। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ेगी, यह समस्या और ज्यादा आम हो जाएगी, खासतौर पर नॉर्थ अटलांटिक जैसे व्यस्त फ्लाइट रूट्स पर।
यात्रियों के लिए चेतावनी
अब हवाई यात्रियों को सलाह दी जा रही है कि वे उड़ान के दौरान हमेशा सीट बेल्ट बांधे रखें, भले ही "सीट बेल्ट" साइन बंद क्यों न हो। एयरलाइंस भी अपनी उड़ानों में सुरक्षा प्रोटोकॉल को और सख्त कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम पैटर्न अब आसमान को भी अस्थिर बना रहे हैं, और इसका सीधा असर हमारी हवाई यात्राओं पर पड़ रहा है। ऐसे में सावधानी ही सुरक्षा की सबसे बड़ी कुंजी है।
टरबुलेंस का खतरा क्यों बढ़ रहा है? जानिए इसके पीछे छिपे खतरनाक कारण
जलवायु परिवर्तन अब केवल ज़मीन पर ही नहीं, बल्कि आसमान में भी असर दिखा रहा है। जैसे-जैसे धरती का तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे हवा की चाल और पैटर्न भी बदल रहे हैं। इससे मौसम प्रणाली अस्थिर हो रही है और आसमान पहले से कहीं अधिक "अशांत" हो गया है। यही कारण है कि हाल के वर्षों में हवाई यात्राओं के दौरान टरबुलेंस – यानी झटकों – की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।
वैज्ञानिकों की चेतावनी: आने वाले सालों में झटकों में हो सकता है तीन गुना इज़ाफा
रीडिंग यूनिवर्सिटी के वायुमंडलीय वैज्ञानिक प्रोफेसर पॉल विलियम्स ने आगाह किया है कि अगर मौजूदा हालात यूं ही बने रहे, तो अगले कुछ दशकों में "गंभीर टरबुलेंस" की घटनाएं दोगुनी या यहां तक कि तीन गुनी हो सकती हैं। वह बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण तेज़ जेट स्ट्रीम और गर्म, नम हवा के चलते अधिक तीव्र गरज-चमक और हवाई अशांति देखने को मिल रही है।
उत्तर अटलांटिक में 55% बढ़ गया है गंभीर टरबुलेंस
दुनिया का सबसे व्यस्त फ्लाइट कॉरिडोर – उत्तर अटलांटिक रूट – पिछले 40 वर्षों में गंभीर टरबुलेंस में 55% का इज़ाफा देख चुका है। और यह केवल यहीं तक सीमित नहीं है – पूर्वी एशिया, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में भी यह वृद्धि दर्ज की जा रही है।
टरबुलेंस की तीन खतरनाक किस्में
कन्वेक्टिव टरबुलेंस: जो तूफानों से पैदा होती है
ओरोग्राफिक टरबुलेंस: जो पहाड़ियों और पहाड़ों के कारण होती है
क्लियर-एयर टरबुलेंस (CAT): सबसे खतरनाक टरबुलेंस, क्योंकि इसे रडार या पायलट की आंखों से नहीं देखा जा सकता। ये बिना किसी चेतावनी के अचानक आ जाती है।
भविष्यवाणी बेहतर, लेकिन अभी भी अधूरी
हालांकि टरबुलेंस की सटीक भविष्यवाणी में सुधार हुआ है – पिछले दो दशकों में सटीकता 60% से बढ़कर 75% तक हो चुकी है – फिर भी यह तकनीक अभी पूरी तरह भरोसेमंद नहीं है। एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि आधुनिक विमानों को ऐसे हालात से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एयरलाइंस उड़ानों के समय और मार्ग में बदलाव कर इस खतरे को कम करने की कोशिश कर रही हैं। यात्रियों के लिए सबसे अहम सलाह यही है कि उड़ान के दौरान सीट बेल्ट हमेशा लगाए रखें, क्योंकि टरबुलेंस अब "असाधारण" नहीं, बल्कि "आम" होता जा रहा है।