आगरा धर्मांतरण मामला: 2 बहनों के ब्रेनवॉश का आरोप, 5 देशों से जुड़ा फंडिंग नेटवर्क, 10 गिरफ्तार
punjabkesari.in Sunday, Jul 20, 2025 - 10:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के आगरा से सामने आए कथित धर्मांतरण मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दो सगी बहनों के इस्लाम धर्म कबूल करने और घर से लापता होने के मामले में पुलिस को अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े सुराग मिले हैं। मामले में अब तक 6 राज्यों में छापेमारी कर 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि मुख्य आरोपी मास्टरमाइंड अभी फरार है।
पिता ने लगाया ‘ब्रेनवॉश’ का आरोप
पीड़ित पिता ने बताया कि बड़ी बेटी, जो दयालबाग से एम.फिल की तैयारी कर रही थी, साल 2021 में सायमा नाम की युवती के संपर्क में आई। सायमा, कश्मीर के उधमपुर की रहने वाली है और उसने धीरे-धीरे उसकी बेटी को इस्लाम धर्म की ओर आकर्षित किया। सायमा उसे वीडियो और किताबें दिखाकर इस्लाम अपनाने को कहती थी। धीरे-धीरे बेटी ने घर में पूजा-पाठ का विरोध शुरू कर दिया और नमाज पढ़ने लगी।
पहली बार 2021 में भागने की कोशिश
2021 में बड़ी बेटी घर से भागकर कश्मीर जाने की कोशिश में थी, लेकिन रास्ते में लैंडस्लाइड में फंस गई। तब उसने परिवार को कॉल कर मदद मांगी और पिता उसे एक कश्मीरी नेता की मदद से वापस ले आए। इसके बाद परिवार ने उसका फोन जब्त कर लिया, लेकिन वह अपनी छोटी बहन के फोन का इस्तेमाल करके सायमा से संपर्क में रही।
छोटी बहन का भी ब्रेनवॉश
इसके बाद बड़ी बेटी ने अपनी 16 वर्षीय छोटी बहन को भी धर्म परिवर्तन की ओर प्रेरित करना शुरू कर दिया। दोनों बहनों ने इंस्टाग्राम के जरिए रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम से संपर्क किया, जो सोशल मीडिया पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाला व्यक्ति बताया गया है। उसने उन्हें कहा कि इस्लाम अपनाने के बाद नई जिंदगी शुरू होगी और घर का कोई दबाव नहीं रहेगा।
कोलकाता में कराया गया धर्मांतरण
24 मार्च 2025 को जब परिवार दिल्ली गया था, दोनों बहनें घर से निकल गईं। रीत ने उन्हें पहले एक मस्जिद में कलमा पढ़वाया, फिर दिल्ली, बिहार होते हुए कोलकाता भेजा। वहां एक मौलवी के सामने ‘शहादा’ (इस्लाम में आस्था की घोषणा) करवाई गई। इसके बाद बड़ी बहन का नाम अमीना और छोटी का नाम जोया रख दिया गया। गैंग के सदस्य अब उनका निकाह कराने की तैयारी में थे, ताकि वे दोबारा अपने धर्म में न लौट सकें।
41 दिन बाद दर्ज हुआ केस
बेटियों के लापता होने के 41 दिन बाद, 4 मई 2025 को पिता ने पुलिस में अपहरण का मामला दर्ज कराया। शुरुआती अनदेखी के बाद जब मामला उच्च स्तर तक पहुंचा, तो डीजीपी राजीव कृष्ण के निर्देश पर पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने स्वयं मामले की निगरानी शुरू की। एडीसीपी सिटी आदित्य के नेतृत्व में 7 टीमें बनाई गईं।
कोलकाता से बहनों को किया गया बरामद
पुलिस की साइबर सेल और सर्विलांस टीम की मदद से कोलकाता के बैरकपुर से दोनों बहनों को सुरक्षित बरामद किया गया। वहीं, बैरकपुर से शेखर रॉय उर्फ हसन अली को पकड़ा गया, जो बारासात कोर्ट का कर्मचारी है। उसकी निशानदेही पर गोवा से आयशा नाम की महिला को गिरफ्तार किया गया।
अब तक 10 गिरफ्तार, मास्टरमाइंड फरार
पुलिस ने इस मामले में आगरा, कोलकाता, गोवा, मुजफ्फरनगर, देहरादून और जयपुर से कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें कई ऐसे लोग हैं जो खुद भी धर्मांतरण कर मुस्लिम बन चुके हैं और अब दूसरे युवाओं को इस्लाम अपनाने के लिए उकसाते हैं।
गिरफ्तार आरोपी हैं
- हसन अली उर्फ शेखर रॉय (बैरकपुर)
- ओसामा (कोलकाता)
- रहमान कुरैशी (आगरा)
- अब्बू तालिब (मुजफ्फरनगर)
- अबुर रहमान (देहरादून)
- मोहम्मद अली और जुनैद कुरैशी (जयपुर) और अन्य
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग की भी आशंका
जांच में सामने आया है कि यह धर्मांतरण रैकेट पांच विदेशी देशों से फंडिंग प्राप्त कर रहा है। पुलिस को शक है कि यह नेटवर्क भारत में इस्लाम को बढ़ावा देने के मकसद से काम कर रहा है।